Photos: ट्रेन से कुछ घंटों में पहुंचेंगे केदारनाथ-बदरीनाथ, कर्णप्रयाग तक दौड़ेगी रेल, कब पूरा होगा रेलवे का ये धांसू प्रोजेक्ट
Rishikesh Karnaprayag Rail: अब आप अगले साल से बिना लैंड स्लाइड की चिंता किए ट्रेन से उत्तराखंड के कर्णप्रयाग जा सकेंगे. उत्तराखंड के सुदूर हिस्सों के ट्रेन से जोड़ने के लिए चलाया जा रहा रेल प्रोजेक्ट अब अपने आखिरी चरणों में पहुंच गया है.
करीब 125 किमी होगी प्रोजेक्ट की लंबाई
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक बन रहे रेल प्रोजेक्ट की लंबाई 125 किमी है. सरकार ने काम तेजी से आगे बढ़ाने के लिए L&T, HCC, NEC और मेघा इंजीनियरिंग जैसी कंपनियों को वर्क टेंडर अलॉट किए थे, जिसके चलते यहां पर सुपर स्पीड से काम चल रहा है.
करीब 16 हजार 200 करोड़ रुपये की लागत
ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल लाइन प्रोजेक्ट की लागत 16 हजार 200 करोड़ रुपये है. इस रेल प्रोजेक्ट के बनने से ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक सफर में लगने वाला समय 7 घंटे से घटकर 2 घंटे रह जाएगा. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की डेडलाइन दिसंबर 2024 है.
बॉर्डर तक बढ़ेगा सेनाओं का मूवमेंट
यह मोदी सरकार का अहम रणनीतिक प्रोजेक्ट है. इसके जरिए देश के बॉर्डर तक सेनाओं का मूवमेंट तेज करने और राज्य के पर्यटन में आगे बढ़ाने की स्ट्रेटजी छिपी है. इस प्रोजेक्ट का निर्माण रेल विकास निगम लिमिटेड की ओर से किया जा रहा है.
चारधाम के लिए बढ़ेगी कनेक्टिविटी
इस रेल लाइन के बनने से उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा के लिए कनेक्टिविटी और बेहतर हो जाएगी. साथ ही यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ के दर्शनों के लिए आना- जाना और आसान हो जाएगा. इससे पलायन की समस्या भी खत्म हो जाएगी.
15.1 किमी लंबी सबसे बड़ी सुरंग
125 किमी लंबे इस रेल प्रोजेक्ट में से 105 किमी का हिस्सा 35 पुल और 17 सुरंग बनी हैं. इसमें देवप्रयोग और लछमोली के बीच 15.1 किमी लंबी सुरंग भी शामिल है, जो उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश की सबसे बड़ी सुरंग भी बनने वाली है.
रूट में होंगे कुल 13 स्टेशन
इस स्टेशन पर कुल 13 स्टेशन होंगे. इनके नाम ऋषिकेश, मुनि की रेती, शिवपुरी, मंजिलगांव, सकनी, देवप्रयाग, कीर्तिनगर, श्रीनगर, धारी, रुद्रप्रयाग, घोलतीर, घोचर और कर्णप्रयाग है. कर्णप्रयाग उतरने के बाद आप आगे गाड़ी पकड़कर बदरीनाथ और केदारनाथ जा सकेंगे.