Rwanda Bill: क्या है ऋषि सुनक का ड्रीम प्रोजेक्ट रवांडा बिल, जिस पर ब्रिटेन में बरपा है हंगामा
किसी देश में अवैध रूप से घुसने की समस्या अब भयावह होती जा रही है. शरणार्थी अब दुनिया के कई देशों के लिए मुसीबत बन चुके हैं. हैरानी की बात ये है कि ब्रिटेन, अमेरिका और अन्य देशों में घुसने के लिए ये शरणार्थी अब किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी इंग्लिश चैनल के जरिए उनके देश आने वाले शरणार्थियों को रोकना चाहते हैं. इसके लिए वह रवांडा बिल लेकर आए हैं. लेकिन वह फिर संसद से पारित नहीं हो पाया. आइए इसके बारे में जानते हैं.
रवांडा विधेयक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का महत्वाकांक्षी योजना है, जिसकी राह में एक बार फिर रोड़े अटक गए हैं. उच्च सदन ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ के सदस्यों ने बिल में संशोधन किए जाने की मांग की. विधेयक को संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में वापस भेज दिया गया है. रवांडा की सुरक्षा (शरण और अप्रवासन) विधेयक को ईस्टर हॉलिडे के बाद अप्रैल के मध्य में मतदान के लिए फिर से पेश किया जायेगा. संसद के उच्च सदन के सदस्यों ने ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ ने इसमें किए गए बदलावों को बुधवार रात खारिज कर दिया था.
ब्रिटेन की सरकार का कहना है कि रवांडा विधेयक का मकसद ब्रिटेन में इंग्लिश चैनल के रास्ते अवैध रूप से आने वाले शरणार्थियों को रोकना है. रवांडा विधेयक के तहत ब्रिटेन की सरकार शरण लेने वाले लोगों को वापस रवांडा भेजेगी, जहां से वे ब्रिटेन में शरण पाने के लिए आवेदन कर सकेंगे.
विपक्षी दल लेबर पार्टी ने इस योजना को एक महंगा छलावा बताया है. कंजर्वेटिव सरकार ने हालांकि कहा कि इसके जरिये इंग्लिश चैनल के रास्ते आने वाले अवैध प्रवासियों को रोका जा सकेगा. सुनक ने बुधवार को 'हाउस ऑफ कॉमन्स' में कहा, 'जब से मैं प्रधानमंत्री बना हूं, अवैध शरणार्थियों की संख्या में एक तिहाई से अधिक की कमी आई है. ऐसा इसलिए हुआ है कि हमने राष्ट्रीय अपराध एजेंसी की फंडिंग दोगुनी कर दी है और हमने अवैध आव्रजन प्रवर्तन छापे 70 प्रतिशत तक बढ़ा दिए हैं.'
उन्होंने कहा, 'हमने 7,500 बैंक खाते बंद कर दिए हैं, 24,000 अवैध प्रवासियों को निर्वासित किया है और 1,12,000 से अधिक मामलों में कार्रवाई की है.' लेबर पार्टी के नेता केर स्टार्मर ने सरकार पर इस योजना पर करदाताओं का पैसा बर्बाद करने का आरोप लगाया.
इस बीच, रवांडा विधेयक को लेकर संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है और इस पर सहमति बनाने की कोशिशें जारी हैं. सरकार को उम्मीद है कि अगले महीने ईस्टर के बाद संसद का सत्र फिर से शुरू होने पर दोनों सदनों में इस विधेयक पर फिर से चर्चा कर सहमति बना ली जाएगी.