महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम का होगा कायाकल्प, जानें क्या-क्या होने वाले हैं बदलाव?
Sabarmati Ashram redevelopment: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने अहमदाबाद में `बापू` के पुनर्विकसित कोचरब आश्रम का उद्घाटन किया. इसकी कई फोटो सामने आई है. इन तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि पीएम मोदी के प्रयास से कोचरब आश्रम पूरी तरह से बदल चुका है. इसके बाद अब साबरमती आश्रम का भी कायाकल्प किया जाएगा, जिसमें करीब 1200 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
साबरमती आश्रम के लिए बने मास्टरप्लान के तहत 1200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और पांच एकड़ क्षेत्र को 55 एकड़ तक बढ़ाया जाएगा. इसके साथ ही मौजदूा 36 भवनों का नवीनीकरण किया जाएगा. मोदी ने मंगलवार को कहा कि यह आश्रम कभी 120 एकड़ भूमि में फैला हुआ था, लेकिन समय के साथ यह घटकर पांच एकड़ तक सिमट गया और 63 इमारतों से घटकर अब 36 इमारतों में सीमित रह गया. उन्होंने कहा कि इन मौजूदा 36 इमारतों में से पर्यटक केवल तीन इमारतों में ही जा सकते हैं.
मोदी सरकार ने फिर से महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम को मूल रूप में लाने का काम शुरू किया है. अब सरकार 36 इमारतों का जीर्णोद्धार करेगी, जिसमें 20 पुराने भवनों का संरक्षण, 13 भवनों का कायाकल्प और तीन इमारतों को रेनोवेट करना शामिल है.
साबरमती आश्रम का काम पूरा होने के बाद पूरा परिसर 322 एकड़ में फैला होगा. एक अधिकारी ने कहा कि वर्तमान साबरमती आश्रम के दौरे के लिए एक घंटे की आवश्यकता है, तो परियोजना पूरी होने पर पूरे विस्तारित परिसर का दौरा करने में कम से कम 6-7 घंटे लगेंगे.
मास्टरप्लान के अनुसार, जिन इमारतों का संरक्षण किया जाएगा, इसमें हृदय कुंज, महात्मा गांधी और कस्तूरबा का निवास स्थान शामिल है. स्वर्गीय चार्ल्स कोरिया द्वारा डिजाइन किया गया गांधी मेमोरियल संग्रहालय, जो 1963 में खुला था. नंदिनी निवास, जो अतिथि गृह के रूप में कार्य करता था. इसके अलावा मानव साधना, विनोबा-मीरा कुटीर, जय जगत एम्फीथिएटर और जुनू रसोडु (पुरानी रसोई) शामिल हैं.
महात्मा गांधी के जीवन और कार्य में साबरमती का आश्रम सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. यह एक ऐसा स्थान है, जिसे गांधीजी ने स्वयं डिजाइन किया था और इसे स्थानीय सामग्री का उपयोग करके बनवाया था. उन्होंने सबसे अधिक समय यहीं बिताया और यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित आठ प्रमुख आंदोलनों का उद्गम स्थल था.