Explainer: भारत में 100 से अधिक प्रजातियां जहरीली, अब सांप ने काटा तो सरकार को क्यों बताना पड़ेगा?

Snakebite in India: भारत में सांपों की 300 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें से 66 तरह के सांप ऐसे हैं जो जहरीले होते हैं और 42 ऐसे हैं जिनमें थोड़ा कम जहर होता है. सांपों की 23 प्रजातियां मेडिकल लिहाज से अहम मानी जाती हैं क्योंकि उनके काटने से व्यक्ति की मौत हो सकती है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से सांप के काटने को अधिसूचित रोग (notifiable disease) बनाने का आग्रह किया है. यानी ऐसी बीमारी जिसके बारे में निजी और सरकारी, दोनों तरह के अस्पतालों को सरकार को खबर करना कानूनी रूप से अनिवार्य है. आइए, समझते हैं कि सरकार को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा और नए नियम से क्या बदल जाएगा.

दीपक वर्मा Wed, 11 Dec 2024-5:21 pm,
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भारत में जहरीले सांपों का कहर

आपको हम पहले ही बता चुके हैं कि देश में सांपों की 23 प्रजातियां ऐसी पाई जाती हैं, जिनके काटने से इंसान की मौत हो सकती है. हालांकि, सांप काटने के लगभग 90% मामले चार प्रजातियों - इंडियन कोबरा, कॉमन करैत, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर - के आते हैं. इन चारों को 'बिग फोर' भी कहा जाता है. अभी जो पॉलीवैलेंट एंटी-वेनम बाजार में मिलता है, उसमें इन चारों प्रजातियों का जहर होता है और वह सांप काटने के 80% मामलों में प्रभावी है.

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सांप काटने से हर साल हजारों की मौत

भारत में सांप काटने से होने वाली मौतें चिंता की एक बड़ी वजह हैं. हर साल सांप के काटने के 30 से 40 लाख मामले सामने आते हैं. 2020 की Indian Million Death स्टडी के अनुसार, सर्पदंश से हर साल लगभग 58,000 लोगों की जान चली जाती है.

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नोटिफिएबल डिजीज कौन सी होती हैं?

अधिसूचित रोग यानी नोटिफिएबल डिजीज उन्हें कहते हैं जिनसे महामारी फैलने, बड़े पैमाने पर मौतें होने की आशंका रहती है. इनमें वे बीमारियां भी शामिल की जाती हैं जिनके बारे में जल्द से जल्द जांच करने की जरूरत होती है ताकि पब्लिक को सेफ रखा जा सके. हर राज्य में अधिसूचित रोगों की सूची अलग-अलग होती है. हालांकि, उनमें से अधिकांश टीबी, एचआईवी, हैजा, मलेरिया, डेंगू और हेपेटाइटिस जैसे संक्रमणों को नोटिफिएबल मानते हैं.

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सांप के काटने को बीमारी क्यों माना जाता है?

जहरीले सांप के काटने से गंभीर मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है जिसमें तत्काल केयर की जरूरत पड़ती है. सांप का जहर गंभीर लकवा दे सकता है जिससे सांस लेना रुक सकता है, हेमरेज हो सकता है और विभिन्न ऊतकों को नुकसान पहुंच सकता है. सांप के काटने पर एंटी-वेनम से इलाज किया जाता है ताकि मृत्यु और लक्षणों को गंभीर होने से रोका जा सके.

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सरकार ने स्नेकबाइक को नोटिफिएबल डिजीज क्यों बनाया?

केंद्र सरकार के इस कदम से सांप के काटने के मामलों की प्रॉपर निगरानी बेहद होने की संभावना है. भारत में हर साल कितने मामले आते हैं और कितनी मौतें होती हैं, इसका भी सटीक डेटा मिल पाएगा. इससे उन इलाकों में पर्याप्त एंटी-वेनम की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा सकती है, जहां सांप काटने के मामले ज्यादा आते हैं.

नेशनल एक्शन प्लान फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ स्नेकबाइट (NAPSE) के अनुसार, सांप के काटने के ज्यादातर मामले बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में घनी आबादी वाले, कम ऊंचाई वाले, कृषि क्षेत्रों में होते हैं.

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