अंग्रेजों से मिले अपमान और टाटा की जिद...कभी ₹6 में मिलता था कमरा, आज 1 लाख करोड़ का मार्केट कैप, TATA के `ताज` ने सबको पछाड़ा

Hotel Taj Success Story: आज किस्सा उसी होटल ताज का, जिसने कभी देश की गुलामी झेली तो कभी युद्ध का दर्द झेला. कभी आतंक की मार को सहा तो कभी विवाद को, लेकिन आज भी ये इमारत उसी बुलंदी , उसी मजबूती के साथ खड़ा है.

बवीता झा Tue, 17 Sep 2024-4:19 pm,
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देश का पहला फाइव स्टार होटल

Tata Taj Hotel: मुबंई का  ताज होटल सिर्फ टाटा समूह का की शान नहीं बल्कि भारत का एक ट्रेडमार्क बन गया है. मुंबई में समंदर के किनारे इस होटल ने अपने भीतर पूरा इतिहास समेट रखा है. अब टाटा ग्रुप (Tata Group) के ताज होटल (Taj Hotel) ने नया खिताब हासिल कर लिया है. होटल ताज को चलाने वाली इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (IHCL) ने 1 लाख करोड़ रुपये का मार्केट कैप हासिल कर लिया है. इस मार्केट कैप को हासिल करने वाली यह देश की पहली हॉस्पिटेलिटी कंपनी बन गई है. आज किस्सा उसी होटल ताज का, जिसने कभी देश की गुलामी झेली तो कभी युद्ध का दर्द झेला. कभी आतंक की मार को सहा तो कभी विवाद को, लेकिन आज भी ये इमारत उसी बुलंदी , उसी मजबूती के साथ खड़ा है. आज किस्सा टाटा के होटल ताज का... 

 

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अपमान का बदला है ताज

होटल ताज की शुरुआत के पीछे जमशेदजी टाटा का अपमान छिपा है. अंग्रेजों से मिले अपमान का बदला लेने के लिए जमशेदजी टाटा ने होटल ताज की शुरुआत की. दरअसल 1890 के आसपास टाटा एक मीटिंग के सिलसिले में मुंबई के काला घोड़ा इलाके में अपने एक दोस्त से मिलने पहुंचे थे, लेकिन होटल में उन्हें अपमानित कर बाहर कर दिया गया. 'फोर व्हाइट ओनली' के चलते उन्हें होटल में घुसने तक नहीं दिया गया. होटल के गेट में उन्हें ये कहकर अपमानित किया गया कि यहां सिर्फ 'गोरे' यानी अंग्रेजों को ही एंट्री मिलती है.   

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ताज की उम्र 121 साल

जमशेदजी टाटा उस वक्त तो अपमान का घूंट पीकर रह गए, लेकिन उन्होंने इस अपमान का बदला लेने के लिए एक ऐसा होटल बनाने का फैसल किया, जिसमें किसी भी भारतीय को जाने से रोका नहीं जाएगा. इसी के साथ मुंबई के समंदर के किनारे होटल ताज की नींव रखी गई.  1898 में मुंबई में ताज होटल का निर्माण का काम शुरू हुआ, जिसे पूरा होने में 5 साल का वक्त लग गया. 17 गेस्ट के साथ 16 दिसंबर 1903 को इस होटल को पहली बार खोला गया  .  

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121 साल पहले हुए थे 5 करोड़ खर्च

 

इस होटल को बनाने में 4-5 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. अंदाजा लगाइए के 121 साल पहले इस 5 करोड़ की वैल्यूएशन क्या होगी. आज जो होटल ताज बिजली से जगमगाती रहती है वो वो 1903 में पहला होटल था, जहां बिजली थी. यह देश का पहला होटल था, जहां अमेरिकन फैन, जर्मन लिफ्ट, तुर्की स्नानघर और अंग्रेजी बटलर हैं. होटल ताज देश का पहला होटल था जिसे बार और दिनभर चलने वाले रेस्टोरेंट था. होटल ताज पहला होटल था, जहां अंग्रेज बटलर्स थे. 

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हमेशा होटल नहीं था ताज

 

होटल ताज हमेशा से होटल  नहीं था. साल 1914-1918 के विश्व युद्ध के दौरान ताज होटल को 600 बिस्तरों वाले अस्पताल में तब्दील कर दिया गया था. आजादी की जंग में भी इस होटल ने बड़ी भूमिका निभाई थी.  महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, मुहम्मद अली जिन्ना, खान अब्दुल गफ्फार खान और सरदार पटेल भी इस होटल में एकत्रित होते थे. 

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6 रुपये में बुक होता था कमरा

 

ताज होटल के एक रूम का किराया किसी जमाने में सिर्फ6 रुपये था लेकिन आज यहां एक रात रुकने के लिए आपको 30,000 से लेकर लाखों रुपये चुकाने पड़ते हैं. होटल में रूम कैटेगिरी के हिसाब से किराया अलग-अलग है, जिसकी शुरुआत 30,000 रुपये से शुरू होती है.  

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झेला आतंक का दर्द

  टाटा के इस होटल की भव्यता से दुश्मन जलते हैं. भारत की पहचान बन चुके इस होटल पर साल 2008 में आतंकी हमला तक हो गया. मुंबई आतंकी हमले के दौरान आंतकियों के निशाने पर होटल ताज था. इस हमले ने होटल ताज को बुरी तरह से झगझोर दिया. हमले में होटल को काफी नुकसान हुआ, कई महीने तक उसे बंद रखना पड़ा, लेकिन एक बार फिर से यह ताज खड़ा हो गया.  आज ये होटल न केवल टाटा की बल्कि भारत की पहचान बन गया है.  

 

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