सूर्य से लाखों-करोड़ों गुना बड़े दो ब्लैक होल ब्रह्मांड में यह क्या कर रहे? देखकर चौंक उठे वैज्ञानिक
Science News in Hindi: एक रहस्यमय सिग्नल का पीछा करते-करते खगोलविदों ने ब्लैक होल्स से जुड़ी एक अजीब बात देखी. उन्होंने पाया कि सुपरमैसिव ब्लैक होल की एक जोड़ी एक विशाल गैस बादल को खा रही है. यह वैज्ञानिकों द्वारा अब तक देखे गए किसी भी खगोलीय भोजन से अलग है. सुपरमैसिव ब्लैक होल, सूर्य के द्रव्यमान से 100,000 से लेकर अरबों गुना अधिक द्रव्यमान वाले ब्रह्मांडीय राक्षस होते हैं. वे ब्रह्मांड की सबसे भयावह चीजों में से एक हैं. ये काले दैत्य पूरे तारों को खा सकते हैं और बहुत दूर तक दिखाई देने वाले रेडिएशन की धार छोड़ सकते हैं. (All Photos : NASA/JPL)
सुपरमैसिव ब्लैक होल क्या होते हैं?
सुपरमैसिव ब्लैक होल, ब्रह्मांड में पाए जाने वाले सबसे विशालकाय ब्लैक होते हैं. इनका द्रव्यमान सूर्य के 1,00,000 गुना से लेकर करोड़ों-अरबों गुना अधिक तक हो सकता है. ये आमतौर पर बड़ी आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाते हैं. ब्लैक होल वे पिंड होते हैं जिनका गुरुत्वाकर्षण इतना शक्तिशाली होता है कि कुछ भी, यहां तक कि प्रकाश भी उनसे बच नहीं पाता.
रहस्यमय सिग्नल से मिला सुराग
वैज्ञानिकों ने मार्च 2021 में एक रहस्यमय सिग्नल दर्ज किया. AT 2021hdr कहा जाने वाला यह सिग्नल 2MASX J21240027+3409114 नामक आकाशगंगा से आया था, जो हमसे करीब एक अरब प्रकाश वर्ष दूर है.
पहले तो वैज्ञानिकों को लगा कि यह सिग्नल किसी सुपरनोवा या टाइडल डिसरप्शन जैसी जानी-पहचानी घटना से जुड़ा है. लेकिन सिग्नल की चमक अजीब थी जो ऐसी घटनाओं में देखने को नहीं मिलती. इस वजह से रिसर्च टीम ने सिग्नल की गहराई से जांच करने की ठानी.
तमाम टेलीस्कोप के डेटा ने हमें क्या बताया?
स्टडी के लेखकों में से एक लोरेना हर्नांडेज़-गार्सिया ने कहा कि 'हमने इस सिस्टम के प्रकाश पर चार साल तक नजर रखी. अलग-अलग वेवलेंथ पर प्रकाश में बदलाव को दर्ज किया गया. इस स्टडी के लिए स्विफ्ट उपग्रह (एक्स-रे और पराबैंगनी), ज़्विकी ट्रांजिएंट फैसिलिटी (ऑप्टिकल), वेरी लॉन्ग बेसलाइन एरे (रेडियो), तथा स्पेन, मैक्सिको और भारत में ऑप्टिकल टेलीस्कोप के ऑब्जर्वेशंस को शामिल किया गया.
वैज्ञानिक तमाम अध्ययन के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि सिग्नल का सोर्स अज्ञात है. इसका एक्स-रे उत्सर्जन बिल्कुल अनोखा था. ऐसा कोई और सिग्नल ब्रह्मांड में पहले कभी नहीं देखा गया था. रहस्य को सुलझाने के लिए रिसर्चर्स ने सैद्धांतिक मॉडलों की मदद ली. उनका अनुमान है कि यह रेडिएशन सुपरमैसिव ब्लैक होल्स की जोड़ी से निकला है जो आकाशगंगीय धूल के विशालकाय बादल को खा रही है.
दोनों ब्लैक होल्स के सिमुलेशन ने और समझाया
ब्लैक होल्स की आपसी प्रतिक्रिया और गैस के बादल का सिमुलेशन तैयार करने पर, टीम ने पाया कि उनका सिग्नल इस कंप्यूटर मॉडल की भविष्यवाणियों से मेल खाता है. हर्नांडेज़-गार्सिया के मुताबिक, 'हमारा निष्कर्ष है कि इस सिस्टम से आने वाले प्रकाश को एक बाइनरी सुपरमैसिव ब्लैक होल के सूर्य के द्रव्यमान जितने विशाल गैस के बादल से प्रतिक्रिया के जरिए समझाया जा सकता है.
कितने बड़े हैं ये ब्लैक होल
रिसर्चर्स के अनुसार, अगर ऐसा है तो दोनों ब्लैक होल के बीच की दूरी 0.8 मिलीपारसेक (लगभग एक प्रकाश-दिन) होगी. वे लगभग हर 130 दिन में एक दूसरे की परिक्रमा करेंगे. उनका सम्मिलित द्रव्यमान लगभग 40 मिलियन सौर द्रव्यमान होगा, तथा लगभग 70,000 वर्षों में उनके विलय होने की संभावना है.