Lord Dhanvantari: साल में केवल एक बार खुलता है भगवान धन्वंतरि का ये मंदिर, 326 साल पुरानी प्रतिमा में हैं विराजमान
Dhanvantari Jayanti 2023: आज से दीपों के पर्व दीपावली शुरुआत हो गई है. धनतेरस के साथ ही इस त्योहार का भी आगाज हो जाता है और पांच दिन तक चलने के बाद भाई दूज के दिन इसका समापन होता है. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. उनको आयुर्वेद का जनक और देवताओं का वैद्य माना जाता है. धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरि की जयंती भी मनाई जाती है.
धन्वंतरि मंदिर
देश में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं, जो अपने आप में कई रहस्य और इतिहास समेट हुए हैं. इन्हीं में से एक वाराणसी के सूड़िया स्थित धन्वंतरि मंदिर है. यह मंदिर साल में केवल एक बार धनतेरस के दिन ही खुलता है.
धन्वंतरि जयंती
कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी पर भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाई जाती है. ऐसे में दूर-दूरस से इस मंदिर में भगवान धन्वंतरि का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं, जिससे कि उनको जीवन में किसी भी तरह का शारीरिक कष्ट न हो और निरोगी काया के साथ जीवन व्यतीत कर सकें.
प्रतिमा
इस मंदिर में भगवान धन्वंतरि की अष्टधातु से बनी करीब 50 किलो की मूर्ति है. ऐसा बताया जाता है कि यह मूर्ति करीब 326 साल पुरानी है. करीब ढाई फुट ऊंची इस मूर्ति में भगवान धन्वंतरि के एक हाथ में अमृत कलश, दूसरे में शंख, तीसरे में चक्र और चौथे हाथ में जोंक हैं.
अवतार
श्रीमद्भागवत में उल्लेख है कि विष्णु के 24 अवतारों में धन्वंतरि भी एक थे. वह समुद्र से हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पृथ्वीलोक पर आयुर्वेद की उत्पत्ति काशी से ही मानी जाती है.
भोग
धन्वंतरि जयंती के मौके पर भगवान की इस प्रतिमा का खास विधि के साथ पूजा-अर्चना और श्रृंगार किया जाता है. उनको फल-फूलों के अलावा जड़ी बूटी और औषधि का भोग लगाया जाता है. आज के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से सभी रोग और कष्ट से मुक्ति मिलती है.