शुक्र पर कभी जीवन नहीं था, शुरू से ही सूखा है `धरती की बहन` कहा जाने वाला ग्रह; नई खोज ने उड़ाए होश
Life On Venus Planet: शुक्र को `धरती का जुड़वां ग्रह` या `धरती की बहन` कहा जाता है. शुक्र ग्रह पर कभी जीवन था, यह धारणा दिन-ब-दिन कमजोर पड़ती जा रही है. एक नई स्टडी ने सुझाया है कि शुक्र हमेशा से ही इतना सूखा था कि वहां किसी तरह का जीवन नहीं पनप सकता था. यह रिसर्च `नेचर एस्ट्रोनॉमी` जर्नल में छपी है. वैज्ञानिकों ने शुक्र के वायुमंडल में पानी के सिग्नेचर्स की पड़ताल करके जाना कि यह अपने इतिहास में कितना गीला हुआ करता था.
शुक्र: धरती का जुड़वां ग्रह
शुक्र ग्रह और पृथ्वी में कई समानताएं हैं. दोनों ग्रहों का आकार, द्रव्यमान और घनत्व समान है, और खनिज संरचना भी समान है. लेकिन ये उन स्थितियों में बहुत अलग हैं जो हमारे रहने के तरीके में बहुत बड़ा अंतर लाते हैं. सतह पर, शुक्र का औसत तापमान लगभग 465 डिग्री सेल्सियस (870 फ़ारेनहाइट) है और वायुमंडलीय दबाव समुद्र तल पर पृथ्वी के दबाव से 92 गुना अधिक है.
बनी-बनाई धारणा टूटी!
अब तक हम यह मानते रहे थे कि शुक्र आज जैसा जहरीला ग्रह है, हमेशा से वैसा नहीं था. प्रचलित वैज्ञानिक धारणा यह थी कि शुक्र कभी जीवन के बसने लायक था, वहां तरल पानी के समुद्र खौलते रहते थे. नई रिसर्च बताती है कि यह शुरू से ही, अंदर से बाहर तक, एकदम सूखा था.
वैज्ञानिकों ने कैसे पता लगाया?
शुक्र के वायुमंडल की यह स्टडी ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की एस्ट्रोनॉमर टेरेजा कॉन्स्टेंटिनौ के नेतृत्व में चली. रिसर्च टीम लिखती है, 'जल, कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बोनिल सल्फाइड के वायुमंडलीय विनाश की वर्तमान दर की गणना करके, जिसे वायुमंडलीय स्थिरता बनाए रखने के लिए ज्वालामुखी विस्फोट द्वारा बहाल किया जाना चाहिए, हमने दिखाया है कि शुक्र का आंतरिक भाग शुष्क है.'
शुक्र पर कभी नहीं रहा तरल पानी
वैज्ञानिकों ने स्टडी में कहा, 'ग्रह का शुष्क आंतरिक भाग शुक्र के मैग्मा महासागर के युग के समाप्त होने तथा उसके बाद से लंबे समय तक शुष्क सतह पर रहने के अनुरूप है. इसलिए, शुक्र के वायुमंडल में ज्वालामुखीय आपूर्ति से संकेत मिलता है कि यह ग्रह कभी भी तरल-पानी वाले रहने योग्य नहीं रहा है.'
शुक्र पर होती है एसिड की बारिश
शुक्र ग्रह पर कार्बन डाइऑक्साइड के दम घोंटने वाले, विषैले बादल हैं जो जो सल्फ्यूरिक एसिड की बारिश करते हैं. यह सौरमंडल की एक बेहद गर्म जगह है जो बेहद दुर्गम है. अगर नई स्टडी के नतीजे सही हैं तो सौरमंडल के बाहर जीवन की तलाश में हम शुक्र जैसे वायुमंडल वाले बाहरी ग्रहों (एक्सोप्लैनेट्स) को नजरअंदाज कर सकते हैं.