PHOTOS: मंगल ग्रह पर शुरू से ही मौजूद था पानी, 4.45 अरब साल पुराने क्रिस्टल से ऐसे हुआ खुलासा
Water on Mars: जमीन पर पर लगभग हर जगह पानी मौजूद है. कहा जाता है कि पृथ्वी की सतह का 70 फीसद हिस्सा पानी से ढका हुआ है. पानी हवा में, सतह पर और चट्टानों के अंदर मौजूद है. एक जानकारी के मुताबिक पृथ्वी पर लगभग 4.3 अरब वर्षों से पानी मौजूद है, लेकिन मंगल गृह पर पानी का इतिहास बहुत अनिश्चित रहा है. यह तय करना कि पानी पहली बार कब कहां और कितने समय तक दिखाई दिया ये सभी बहुत मुश्किल सवाल बने हुए हैं.
मंगल पर संभव था जीवन
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कहा जा रहा है कि अगल मंगल ग्रह पर कभी जीवन संभव था, तो कुछ मात्रा में पानी की जरूरत वहां जरूर रही होगी. लेकिन मंगल ग्रह से आए उल्कापिंड में मौजूद खनिज जिरकोन की रिसर्च के बाद सामने आया है कि 4.45 अरब साल पहले जब जिरकोन क्रिस्टल बना था, तब वहां पानी मौजूद था. साइंस एडवांसेज मैगजीन में आज छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मंगल ग्रह पर पानी के सबसे पुराने सबूत पेश कर सकते हैं. लंबे समय से माना जाता रहा है कि मंगल ग्रह के शुरुआती इतिहास में पानी का अहम किरदार रहा है.
मंगल के 4 भूवैज्ञानिक काल
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कहा जाता है कि पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह का निर्माण भी लगभग 4.5 अरब साल पहले हुआ था. मंगल ग्रह के इतिहास में चार भूवैज्ञानिक काल हैं. ये हैं अमेजोनियन (आज से तीन अरब वर्ष पहले तक), हेस्पेरियन (तीन अरब से 3.7 अरब वर्ष पहले), नोआचियन (3.7 अरब से 4.1 अरब वर्ष पहले) और प्री-नोआचियन (4.1 अरब से लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले).
1970 में मिले पानी के सबूत
मंगल ग्रह पर पानी के सबूत पहली बार 1970 के दशक में मिले थे, जब नासा के मेरिनर 9 अंतरिक्ष यान ने मंगल ग्रह की सतह पर नदी घाटियों की तस्वीरें खींची थीं. बाद में मार्स ग्लोबल सर्वेयर और मार्स एक्सप्रेस समेत ऑर्बिटल मिशन ने सतह पर ‘हाइड्रेटेड क्ले मिनरल्स’ की बड़ी तादाद में मौजूदगी का पता लगाया. इनके लिए पानी की जरूरत होती है. मंगल ग्रह की नदी घाटियां और मिट्टी के खनिज मुख्य रूप से नोआचियन इलाकों में पाए जाते हैं.
पानी तलाश करने के तीन तरीके
कर्टिन यूनिवर्सिटी के आरोन जे कैवोसी ने बताया कि मंगल ग्रह पर पानी से जुड़ी अधिकतर रिपोर्ट में तीन अरब साल से भी पुराने सामान या भूभाग में मौजूदगी के संकेत हैं. हाल ही में मंगल ग्रह पर मौजूद तरल पानी के ज्यादा सबूत नहीं मिले हैं. मंगल ग्रह पर पानी की तलाश करने के तीन तरीके हैं. पहला तरीका है सतह पर परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान के ज़रिए किए गए ऑब्जरवेशन का इस्तेमाल करना. दूसरा तरीका है जमीन पर आधारित अवलोकनों का इस्तेमाल करना, जैसे कि मंगल रोवर के ज़रिए किए गए अवलोकन. तीसरा तरीका है जमीन पर गिरे मंगल ग्रह के उल्कापिंडों का अध्ययन करना, जो हमने किया.
मंगल ग्रह से आया उल्कापिंड
कैवोसी ने बताया कि हमारे पास रिसर्च के लिए मौजूद एकमात्र प्री-नोआचियन सामान मंगल ग्रह से आए उल्कापिंडों में पाई जाती है. पृथ्वी पर गिरे सभी उल्कापिंडों में से कुछ हमारे पड़ोसी ग्रह से आए हैं. इन उल्कापिंडों का एक और भी छोटा समूह. इस समूह की सबसे चर्चित और असाधारण चट्टान को एनडब्ल्यूए7034 या ब्लैक ब्यूटी कहा जाता है. ब्लैक ब्यूटी एक मंगल ग्रह से आया चर्चित उल्कापिंड है जो टूटी हुई सतह सामग्री या रेगोलिथ से बना है.
हाइड्रोथर्मल के मिले सबूत
उन्होंने आगे बताया कि चट्टान के टुकड़ों के अलावा इसमें जिरकोन भी हैं, जो 4.48 अरब से 4.43 अरब साल पहले बने थे. ये मंगल ग्रह के ज्ञात सबसे पुराने टुकड़े हैं. इन प्राचीन जिरकोन में से एक में सूक्ष्म तत्वों का अध्ययन करते समय हमें हाइड्रोथर्मल प्रक्रियाओं के सबूत मिले हैं. इसका अभिप्राय है कि सुदूर अतीत में जब वे बने थे, तब वे गर्म पानी के संपर्क में थे.
4.45 अरब वर्ष जिरकोन
उन्होंने बताया कि जिस जिरकोन का अध्ययन किया है वह 4.45 अरब वर्ष पुराना है. इसके अंदर लोहा, एल्युमीनियम और सोडियम प्याज की परतों की तरह हैं. इससे यह साफ होता है कि इन तत्वों का समावेश जिरकोन में उसके आग्नेय इतिहास के दौरान, मैग्मा में हुआ था. समस्या यह है कि लोहा, एल्युमीनियम और सोडियम आम तौर पर क्रिस्टलीय आग्नेय जिरकोन में नहीं पाए जाते. तो फिर ये मंगल ग्रह के जिरकोन में कैसे पहुंचे? इसका उत्तर गर्म पानी है.
रहने के लिए पानी जरूरी
पिछली रिसर्च में यह भी संकेत किया गया था कि मंगल पर 4.45 अरब वर्ष पहले एक प्रारंभिक वैश्विक महासागर हो सकता है. हमारे अध्ययन से बड़ी बात यह है कि मैग्माटिक हाइड्रोथर्मल प्रणालियां 4.45 अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह की सतह के प्रारंभिक निर्माण के दौरान सक्रिय थीं. इसका मतलब यह नहीं कि इस समय सतह पर पानी स्थिर था, लेकिन हमें लगता है कि यह मुमकिन है. यह साफ है कि मंगल की सतह पर पृथ्वी की तरह इसके बनने के कुछ समय बाद ही पानी था, जो रहने के लिए एक एक बेहद जरूरी चीज है.