सोने से भी ज्यादा महंगी है इस जीव की बदबूदार उल्टी, हकीकत जान रह जाएंगे हैरान!
Whale Vomit: सोचिए, कोई ऐसी चीज जो उल्टी जैसी बदबूदार हो और उसकी कीमत सोने से भी ज्यादा हो! यकीन करना मुश्किल है, लेकिन व्हेल मछली की उल्टी, जिसे एम्बरग्रीस (Ambergris) कहते हैं, असल में इतनी कीमती होती है कि इसकी कीमत करोड़ों में आंकी जाती है. यह खास पदार्थ परफ्यूम और दवाइयों में इस्तेमाल होता है और इसे `फ्लोटिंग गोल्ड` भी कहा जाता है. आइए जानते हैं, क्यों है व्हेल की उल्टी इतनी खास और इसकी कीमत करोड़ों में क्यों है?
व्हेल की उल्टी - क्या है एम्बरग्रीस?
व्हेल की उल्टी, जिसे एम्बरग्रीस कहते हैं, व्हेल मछली के शरीर से निकलने वाला ठोस पदार्थ है. यह व्हेल की आंतों में बनने वाला मल है, जो पच न सकने वाले भोजन के कारण उल्टी के रूप में बाहर आता है. इसका रंग काले से लेकर स्लेटी और सफेद तक हो सकता है, और यह मोम के ठोस टुकड़े जैसा दिखता है.
कैसे बनता है एम्बरग्रीस?
व्हेल मछली समुद्र में मौजूद हर तरह की चीजें खाती है. लेकिन जब यह चीजें पच नहीं पातीं, तो व्हेल उन्हें उल्टी के रूप में बाहर निकाल देती है. यही पदार्थ समुद्र की सतह पर आकर ठोस बन जाता है. यह आमतौर पर स्पर्म व्हेल द्वारा ही उत्पादित होता है.
बदबूदार लेकिन बेशकीमती
एम्बरग्रीस से तेज बदबू आती है, लेकिन परफ्यूम बनाने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां इसे करोड़ों में खरीदती हैं. इसकी खासियत यह है कि यह परफ्यूम की खुशबू को लंबे समय तक टिकाए रखता है. सफेद रंग की एम्बरग्रीस परफ्यूम इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा डिमांड में रहती है.
एम्बरग्रीस और दवाइयों का कनेक्शन
एम्बरग्रीस का इस्तेमाल केवल परफ्यूम में ही नहीं, बल्कि दवाइयों में भी किया जाता है. इसे कई तरह की बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है, खासकर यौन समस्याओं के उपचार में. इसके अलावा, यह प्राचीन काल से औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है.
एम्बरग्रीस का ऐतिहासिक महत्व
16वीं सदी में ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय इसे अंडों के साथ खाना पसंद करते थे. 18वीं सदी में इसका उपयोग टर्किश कॉफी और यूरोप की चॉकलेट का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता था. यहां तक कि मिस्र में सिगरेट में फ्लेवर देने के लिए आज भी इसका इस्तेमाल होता है.
भारत में क्यों है एम्बरग्रीस बैन?
भारत में वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट 1972 के तहत व्हेल की उल्टी को रखना या उसका व्यापार करना अवैध है. स्पर्म व्हेल की घटती आबादी को बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है. भारत में व्हेल और उसके बाय-प्रोडक्ट्स संरक्षित श्रेणी में आते हैं.
एम्बरग्रीस और मिथक
ब्लैक प्लेग महामारी के दौरान यूरोप में माना जाता था कि एम्बरग्रीस का टुकड़ा रखने से प्लेग से बचा जा सकता है. हालांकि यह मिथक था, लेकिन इससे एम्बरग्रीस की ऐतिहासिक महत्ता का पता चलता है.