Aditya-L1 का 5 साल बाद क्या होगा? सूरज-धरती के गुरुत्वाकर्षण के बीच फंसा सैटेलाइट कहां जाएगा
Aditya L1 Mission: भारत ने स्पेस की दुनिया में एक बार फिर इतिहास रच दिया है. चांद पर उतरने के बाद भारत ने स्पेस में आज एक और लंबी छलांग लगाई है. आदित्य-L1 (Aditya-L1) अपनी मंजिल लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर पहुंचा और हेलो ऑर्बिट में स्थापित हो गया. इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया में उत्सुकता से देखा जा रहा है, क्योंकि इसके सात पेलोड, सौर घटनाओं की गहन स्टडी करेंगे. ये सातों पेलोड वैज्ञानिकों को सूर्य से जुड़े डेटा मुहैया कराएंगे. जिससे सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों की स्टडी संभव हो पाएगी. आपके मन में ये सवाल जरूर उठ रहा होगा कि 5 साल में मिशन पूरा होने के बाद आदित्य एल-1 का क्या होगा? वह कहां चला जाएगा?
बता दें कि आदित्य-L1 ने 126 दिनों में 15 लाख किलोमीटर का सफर तय किया. आदित्य L1 अगले 5 साल तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा. ISRO के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने कहा कि ये हमारे लिए बहुत संतोषजनक है, क्योंकि ये एक लंबी यात्रा का अंत है. लॉन्चिंग से लेकर अब तक 126 दिन बीत चुके हैं. मंजिल तक पहुंचना हमेशा एक चिंताजनक पल होता है, लेकिन हम इसके बारे में बहुत आश्वस्त थे. इसलिए जैसा अनुमान लगाया गया था वैसा ही हुआ. हम बहुत खुश हैं.
जान लें कि जिस हेलो ऑर्बिट में आदित्य एल-1 स्थापित हुआ है, वह L-1 की ऐसी कक्षा है, जहां सैटलाइट और स्पेसक्राफ्ट स्थिर रहते हुए काम कर सकते हैं. यहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बिल्कुल बराबर होता है, जो सैटेलाइट को वहीं रोके रखता है. बता दें कि हेलो ऑर्बिट में आदित्य एल-1 अलग-अलग एंगल से सूर्य की स्टडी कर सकेगा. यहां ग्रहण की बाधा भी नहीं पड़ती है. क्योंकि ये ऑर्बिट L1 पॉइंट के आस पास उसी तरह चक्कर लगाती है, जैसे धरती सूर्य के चारों ओर घूमती है.
आदित्य-L1 मिशन ISRO के लिए आसान नहीं था. इसमें ISRO के सामने कई चुनौतियां थीं. ISRO के लिए सबसे बड़ी चुनौती ऑर्बिट में आदित्य L-1 को रखना थी. हालांकि, धरती और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल को भी एक समान रखते हुए, ट्रेजेक्ट्री, वेलोसिटी को मेनटेन करते हुए आदित्य-L1 सफलता से लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर पहुंच गया. आदित्य L1 सौर उत्सर्जन की घटनाएं और उनके कारणों का भी अध्ययन करेगा. जिसके बाद सूरज से जुड़े रहस्यों से पर्दा उठेगा.
अब उस सवाल का जवाब जान लेते हैं कि 5 साल बाद आदित्य-L1 का क्या होगा? दरअसल, आदित्य-L1 धरती और सूर्य के बीच ऐसी जगह फंसा हुआ है, जहां दोनों तरफ से गुरुत्वाकर्षण बराबर है. इसलिए वह दोनों में किसी तरफ भी नहीं जा सकता है. 5 साल बाद जब आदित्य-L1 के इंजन बंद भी हो जाएंगे तो भी वह वहीं पर बना रहेगा. आदित्य-L1 ना ही धरती पर लौटकर आएगा और ना ही ये सूर्य के करीब जाकर उसके ताप में भस्म हो जाएगा.
जान लें कि सूर्य मिशन पर निकले L-1 ने सूरज की स्टडी करना शुरू कर दिया है. अब आदित्य L1 मिशन अगले 5 साल तक भारत के 50 से ज्यादा सैटेलाइट्स की सुरक्षा करेगा. इसके साथ ही ये कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा. इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन कर वैज्ञानिकों को डाटा मुहैया कराएंगे. जिससे सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन करना संभव होगा. आदित्य L1 का एक पेलोड सूरज की हाई डेफिनेशन फोटो खींचेगा, जबकि दूसरा सूरज की अल्ट्रावायलेट वेवलेंथ की फोटो लेगा. इसी तरह आदित्य L1 का तीसरा पेलोड अल्फा पार्टिकल्स की स्टडी करेगा.