अगर अचानक गायब हो जाए चांद तो क्या धरती पर बच पाएगा जीवन? जानकर रह जाएंगे हैरान
Moon and Earth Relation: पिछले 4.5 बिलियन साल से चंद्रमा धरती के चक्कर लगा रहा है. चांद के बारे में जानने की उत्सुकता बीते कुछ वर्षों में काफी बढ़ गई है. भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर चंद्रयान-3 को लैंड कराया है ताकि ज्यादा से ज्यादा चांद के बारे में जानकारी जमा की जा सके. लेकिन फर्ज कीजिए, अगर चांद अचानक से गायब हो जाए तो धरती का क्या होगा? चलिए समझते हैं. नासा के Artemis 3 मून मिशन के एस्ट्रोफिजिसिस्ट नोआ पेट्रो ने कहा, `मुझे लगता है कि एकमात्र संभावित खगोलीय घटना जो चंद्रमा को अस्थिर कर सकती है, वह चंद्रमा पर एक बड़ा प्रभाव होगा जो इसे तोड़ देगा.`
हालांकि स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा होने की संभावना बेहद ही कम है. इसकी वजह सोलर सिस्टम की मौजूदा स्टेबिलिटी है. लेकिन अगर फिर भी चांद गायब हो गया तो कई हैरान कर देने वाले प्रभाव धरती पर पड़ेंगे.
सबसे ज्यादा असर नजर आएंगे समुद्र में. चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव ऊंची लहरें आने की मुख्य वजह है. बिना चांद के समुद्र की ऊंची लहरों में गिरावट आएगी, जिससे समुद्री जिंदगी पर असर पड़ेगा.
खास तौर से अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों (Intertidal Zones) में जहां कई जीव जिंदा रहने के लिए पानी के उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहते हैं. इस बदलाव से इंसानी जनसंख्या पर भी असर पड़ेगा क्योंकि समुद्र के 50 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले दो-तिहाई लोग खाने और आर्थिक गतिविधि के लिए इन्हीं क्षेत्रों पर निर्भर रहते हैं.
इसके अलावा धरते के क्लाइमेट को स्थिर रखने में भी चांद अहम भूमिका निभाता है. चंद्रमा अपनी धुरी पर ग्रह की अस्थिरता को कंट्रोल करके धरती की जलवायु को स्थिर करने में अहम भूमिका निभाता है.
चांद के बिना ये अस्थिरता और ज्यादा बढ़ हो सकती है, जिससे जलवायु और मौसम के पैटर्न में बहुत ज्यादा परिवर्तन हो सकते हैं. सर्दी के बाद गर्मी आएगी, यह पैटर्न बीते जमाने की बात हो जाएगी और बड़े शहर दुर्गम इलाकों में तब्दील हो जाएंगे.
चांद के प्रभाव में धरती पर जीवन पनपता है. कई प्रजातियां तो लूनर साइकिल पर निर्भर हैं. उदाहरण के तौर पर कोरल उनके प्रजनन का समय लूनर साइकिल के मुताबिक होता है, और विभिन्न पक्षी प्रजातियां प्रवास के दौरान चांदनी में यात्रा करती हैं. चांद के गायब होने के बाद उनकी प्राकृतिक तय बिगड़ जाएगी, जिससे बड़े स्तर पर पारिस्थितिक चुनौतियां पैदा हो जाएंगी.