Toilet flush: फ्लाइट के टॉयलेट में पानी क्यों नहीं किया जाता फ्लश, जानिए कैसे काम करता है पूरा सिस्टम

Airplane Toilet facts: जो पैसेंजर्स अक्सर या हमेशा हवाई जहाज में सफर करना पसंद करते हैं, उन्हें छोड़ दें तो आज भी करोड़ों लोग कभी फ्लाइट में नहीं चढ़े होंगे. इसी वजह से प्लेन से जुड़ी तमाम बातें लोगों को पता नही होतीं. उदाहरण के लिए ट्रेन में तो सबको पता होता है लेकिन फ्लाइट में सूसू-पॉटी आई तो प्लेन का टॉयलेट कैसे यूज (Flight me toilet kaise use karein) करेंगे? पहली बार हवाई जहाज में बैठने वालों के दिमाग में ऐसे सवाल जरूर आए होंगे. अगर आपके मन में भी ये बात आई हो कि पैंसेजर्स की सूसू-पॉटी टॉयलेट से निकलकर जमीन पर तो नहीं गिरती होगी, ऐसे में सारा सस्पेंस खत्म करते हुए आपको ये बताते हैं कि एयरप्लेन का टॉयलेट सिस्टम कैसे काम करता है?

श्वेतांक रत्नाम्बर Thu, 22 Aug 2024-6:18 am,
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बात पते की

एयर ट्रैवल के दौरान कुछ लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज हो सकते हैं कि फ्लाइट में टॉयेलट जाते हैं तो अपशिष्ट पदार्थ (waste material) जाते कहां है? कहीं ये हवा में ही तो नहीं गिर जाते? अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो ऐसा कुछ नहीं होता. आपको पूरी सच्चाई बताने जा रहे हैं कि आखिर प्लेन का टायलेट सिस्टम कैसे काम करता है.

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प्लेन के टॉयलेट में पानी क्यों नहीं फ्लश किया जाता?

क्या आसामान से हवा में फेंक दी जाती है जहाज के यात्रियों की गंदगी? फ्लाइट का टॉयलेट सिस्टम कैसे काम करता है? आइए बताते हैं.

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घर वाले टॉयलेट से अलग सिस्टम

प्लेन का शौचालय आपके घर के टॉयलेट की तरह काम नहीं करता. जो हमारे घर के बाथरूम का वेस्ट नाली के जरिए सीवर सिस्टम में पहुंच जाता है. हवाई जहाज के टॉयलेट में ब्लू कलर के केमिकल के साथ एक वैक्यूम सिस्टम वाले टॉयलेट का इस्तेमाल किया जाता है. 

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हवाई जहाज में टॉयलेट कैसे यूज करें

हवाई जहाज में यात्रा करने वाले यात्रियों का मल टॉयलेट से सीधा नहीं गिरता. वह हवाई जहाज में ही मौजूद एक टैंक में जाकर इकट्ठा हो जाता है. 

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साइंस का कमाल

दरअसल, मौजूदा समय में लगभग सभी हवाई जहाज में वैक्यूम टॉयलेट होते हैं. हवाई जहाज के टॉयलेट में फ्लश करने के लिए पानी का इस्तेमाल नहीं होता है, वह वैक्यूम प्रणाली के जरिए ही कमोड से सीधे टैंक में चला जाता है.

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200 लीटर की क्षमता

प्लेन का वैक्यूम टॉयलेट पानी और ठोस मल को अलग कर देता है. सभी हवाई जहाज के पीछे एक खास प्रकार का टैंक होता है, जहां यात्रियों का सारा मल इकट्ठा होता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्लाइट के इस टॉयलेट टैंक की कैपेसिटी करीब 200 लीटर की होती है.

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टैंक का कमाल

दरअसल, एयरलाइन कंपनी कोई भी हो अपवाद को छोड़ दिया जाए तो आम तौर पर एरोप्लेन में बेहद छोटा सा टॉयलेट होता है. उसके साथ ही सूसू-पॉटी को स्टोर होने के लिए वही टैंक होता है. जिसके बारे में हमने अभी आपको ऊपर की स्लाइड में बताया. अब टेक्नोलॉजी इतनी हाईफाई हो गई है कि फ्लाइट में वैक्यूम टॉयलेट बने होते हैं. 

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प्लेन का टॉयलेट

टॉयलेट में फ्लश करने के लिए पानी यूज नहीं होता है. इसी वैक्यूम सिस्टम के जरिए अपशिष्ट पदार्थ डायरेक्ट टैंक में जाकर इक्ट्ठा होते रहते हैं. संभवत: टैंक में वेस्ट पदार्थ को स्टोर करने की क्षमता दो सौ लीटर होती है. इस कैपेसिटी में सभी फ्लाइट में फर्क भी हो सकता है.

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गंदगी स्टोर करने का खास इंतजाम

बीते कई दशकों से एरोप्लेन में वैक्यूम टॉयलेट का इस्तेमाल होता है जो पानी को छानकर एक तरफ भेज देता है और ठोस मल को दूसरी तरफ चला जाता है. यानी प्लेन का वैक्यूम टॉयलेट पानी और ठोस मल को अलग कर देता है. सभी हवाई जहाज के पीछे एक खास प्रकार का टैंक होता है, जहां यात्रियों का सारा मल-मूत्र इकट्ठा होता है. 

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ह्यूमन वेस्ट नीचे नहीं गिरता

मल से भरा एरोप्लेन के टायलेट का टैंक हर फ्लाइट के लैंड होने के बाद एयरपोर्ट पर खोला जाता है. फिर वहां मौजूद सफाईकर्मी उसे खाली कर देते हैं. आपको बताते चलें कि ये टैंक बाहर की तरफ खुलता है. तो अब तो आपको यह बात पता चल ही गयी होंगी की हवाई जहाज के टॉयलेट के अंदर की गंदगी कहा पर जाती है.

 

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