राजदूत बाइक: फटफटिया, जिसकी आवाज से गूंज उठता था मोहल्ला, कभी बुलेट को टक्कर देने वाला सड़क से कैसे हो गया गायब?
कहानी राजदूत की...
Rajdoot Bike:फट-फट की आवाज ऐसी की पूरा मोहल्ला गूंज जाए...लुक ऐसा कि इमेज 'मैचो मैन' की बन जाए. एग्जॉस्ट से उड़ते सफेद धुएं के गुब्बारे के साथ ही इस बाइक की दीवानगी लोगों के सिर चढ़ गई. इसकी सवारी करने वाला खुद को राजा से कम न समझता. साल 1983 में जब इसने भारत में एंट्री की तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि ये इस तरह से लोगों के बीच छा जाएगी. नाम की तरह की यह सड़क का असली किंग बन गया. आज कहानी 'दूत किंग' राजदूत (Rajdoot Bike) की....
कैसे हुई ‘राजदूत‘ मोटरसाइकिल की एंट्री
साल 1961 में भारत में येज़्दी (Yezdi) बाइक की एंट्री हुई. लोगों को ये बाइक खूब पसंद आई, लेकिन प्राइस बैंड पर ये भारत में फिट नहीं बैठ पा रही थी. लोगों को सस्ती और माइलेज वाली बाइक की तलाश थी, जिसे साल 1983 में राजदूत ने पूरा किया. फट-फट की तेज आवाज, और धुंआ उड़ाते जब ये बाइक गली से गुजरती थी, शायद ही कोई ऐसा होता, जो पलट कर उसे न देखें. भारत में आते ही इस बाइक ने लोगों के दिलों में जगह बना ली. राजदूत का क्रेज ऐसा चढ़ा कि इस मोटरसाइकिल ने रॉयल एनफील्ड जैसे ब्रांड के नाम के नीचे अपना कस्टमर बेस बना लिया.
भारत में चल गया राजदूत का जादू
इंडिया की एस्कॉर्ट्स और जापान की यामाहा ने मिलकर साल 1983 में राजदूत को भारत में लॉन्च किया. क्लासिक मॉडल Rajdoot GTS 175 ने भारत में आते ही तहलका मचा दिया. दमदार लुक और शानदार स्पीड वाली इस बाइक को बाजार में आने के साथ ही भारत की पहली परफॉर्मेंस बेस्ड बाइक का तमगा मिल गया. भारत में राजदूत के आने के पीछे भी दिलचस्प किस्सा है. कहां जाता है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी को हार मिली तो मुआवजे के तौर पर उसे दूसरे देशों को RT-125 के डिजाइन का लाइसेंस देना पड़ा। इसमें भारत भी था और इसी वजह से भारत में उसकी एंट्री हुई.
राजदूत को बॉलीवुड का मिला साथ
राजदूत अपनी स्टाइल और स्टेबिलिटी, कम खर्च और कम मेंटिनेंस की वजह से ग्राहकों को खूब पसंद आ रहा था. कुछ दी दिनों में ये स्टेट्स सिंबल बन गया. राजदूत की सवारी करने वाले खुद को किंग से कम नहीं समझते थे. लेकिन कहते हैं कि एक किसी का एक डाउनफॉल आता है. राजदूत के साथ भी ऐसा ही हुआ. एनफील्ड सिल्वर प्लस, मोपेड और काइनेटिक स्पार्क के आने के बाद राजदूत की चमक फीकी पड़ने लगी. कंपनी ने इस खतरे को भांप लिया और फौरन बॉलीवुड का दामन थामा.उन्होंने सुपरस्टार धर्मेन्द्र के साथ विज्ञापन किए. 'शानदार सवारी, जानदार सवारी' की उनकी टैगलाइन हिट हो गई.
नाम राजदूत बॉबी
बची-खुची कसर 1973 में ऋषि कपूर की फिल्म बॉबी ने पूरी कर दी. फिल्म में राजदूत बाइक के इस्तेमाल ने युवाओं में इसका क्रेज फिर से बढ़ा दिया. कंपनी ने भी इस पॉपुलैरिटी को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और फिल्म के बाद बाइक का नाम राजदूत बॉबी कर दिया.
हीरो होंडा से मिली टक्कर
90 के दशक तक सब ठीक चल रहा था, लेकिन हीरो होंडा CD 100 के आने के बाद राजदूत ढलने लगा. कम दाम और नए लुक ने युवाओं को अपनी ओर खींचना शुरू किया. वहीं महंगे स्पेयर पार्ट्स और खराब उपलब्धता के चलते राजदूत पिछड़ने लगा था. साल 1984 आते-आते कंपनी ने राजदूत जीटीएस 175 का प्रोडक्शन बंद कर दिया. साल 1990 तक कंपनी ने 350 ब्रांड को बनाना बंद कर दिया. साल 1991 में राजदूत की आखिरी बाइक भारत में बिकी. भले ही आज यह बाइक बंद हो चुकी हो, लेकिन यादों में आज भी जिंदा है.