इन 6 कारणों से इंजीनियरिंग करने वालों को नहीं मिल पाती नौकरी

Education News in Hindi : भारत हर साल लगभग 1.5 मिलियन इंजीनियरिंग ग्रेजुएट तैयार कर रहा है. ये आंकड़ा साल 2021 तक का है. दिसंबर 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से केवल 10% ग्रेजुएट्स को ही चालू वित्तीय वर्ष में नौकरी मिलने की उम्मीद है. ऐसा क्‍यों हो रहा है. इसके पीछे की 6 वजहें हम आपको बता रहे हैं. आइये जानते हैं...

वन्‍दना भारती Aug 27, 2024, 15:55 PM IST
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नहीं म‍िल रही इंजीन‍ियरों को नौकरी

बचपन से आपने एक बार जरूर सुनी होगी... मेरा बेटा या बेटी इंजीन‍ियर, डॉक्‍टर या आईएएस अध‍िकारी बनेगा या बनेगी. इसमें इंजीन‍ियर‍िंग को ज्‍यादा सीर‍ियसली लेने वालों की संख्‍या हमेशा अध‍िक रही. इसके पीछे वजह ये थी क‍ि एक समय था जब इंजीन‍ियर‍िंग सेक्‍टर में जॉब्‍स की भरमार भी और इस प्रोफेशन में आना एक सम्‍मानजनक बात समझी जाती थी. सम्‍मान तो अब भी है, लेक‍िन अब जॉब नहीं है. साल 2023 के र‍िपोर्ट्स बताते हैं क‍ि इंजीन‍ियर‍िंग करने वाले स‍िर्फ 10 फीसदी छात्रों को ही नौकरी सुन‍िश्‍च‍ित हो पा रही है. यहां तक क‍ि आईआईटी से इंजीन‍ियर‍िंग की पढ़ाई करने वालों को भी जॉब के लाले हैं. इसके पीछे क्‍या वजह हो सकती है. आइये जानते हैं...   

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स्‍क‍िल मैच नहीं करती

वास्‍तव में इंजीन‍ियर‍िंग की पढ़ाई करने के बावजूद छात्र जब नौकरी के ल‍िए कंपन‍ियों के पास पहुंचते हैं तो कंपन‍ियों को उनमें वो स्‍क‍िल नहीं द‍िख पाता, जो जॉब के ल‍िए जरूरी है. इस वजह से बहुत सारे इंजीन‍ियर‍िंग छात्रों को ड‍िग्री तो म‍िल जाती है, लेक‍िन स्‍क‍िल न होने के कारण जॉब नहीं म‍िल पाती. 

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कैम्‍पस प्‍लेसमेंट

परंपरागत रूप से, आईआईटी जैसे बडे संस्‍थानों मे हाई सैलरी वाली जॉब प्‍लेसमेंट होती रही है. लेक‍िन इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स की बढ़ती संख्या ने प्रतिस्पर्धा को बढ़ा दिया है, जिससे सभी छात्रों के लिए इस रास्‍ते अपने ल‍िए मनचाहा जॉब पाना चुनौतीपूर्ण हो गया है. 

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सॉफ्ट स्‍क‍िल

जबकि तकनीकी दक्षता आवश्यक है, नियोक्ता तेजी से कम्‍युन‍िकेशन, टीमवर्क और समस्या-समाधान जैसे मजबूत सॉफ्ट स्किल वाले उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं. कई इंजीनियरों में इन कौशलों की कमी होती है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता में बाधा आती है. 

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आर्थिक मंदी

आर्थिक उतार-चढ़ाव और उद्योग की प्राथमिकताओं में बदलाव इंजीनियरों के लिए नौकरी की उपलब्धता को प्रभावित कर सकते हैं. मसलन, आईटी और ई-कॉमर्स जैसे क्षेत्र, जो कभी प्रमुख भर्तीकर्ता थे, मंदी का अनुभव कर रहे हैं, जिससे नौकरी के अवसर प्रभावित हो रहे हैं. 

 

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बढ़ती अपेक्षाएं:

इंजीनियरिंग सेक्‍टर में हाई सैलरी की एक्‍सपेक्‍टेशन भी इसकी वजन है. यह उन्हें नौकरी के बाजार में कम प्रतिस्पर्धी बना सकता है, खासकर आर्थिक मंदी के दौरान. 

 

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सीमित उद्योग अनुभव:

कई इंजीनियरिंग कार्यक्रमों में पर्याप्त उद्योग अनुभव और व्यावहारिक प्रशिक्षण का अभाव होता है, जिससे स्नातकों के लिए पेशेवर भूमिकाओं में आसानी से बदलाव करना मुश्किल हो जाता है. 

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