टॉयलेट पेपर को सिर्फ सफेद ही क्यों बनाया जाता है? कारण ऐसा, जिसे सुनकर यकीन नहीं होगा
Toilet Paper: वॉशरूम में यूज किया जाने वाला टॉयलेट पेपर सेल्यूलोज फाइबर से बनाया जाता है. इसे पेड़ से या फिर कागजों को ही रिसाइकल करके तैयार जाता है. लेकिन इसके सिर्फ सफेद बनाने की कई वजह है. अगर नहीं जानते तो जान लीजिए.
वैसे तो टॉयलेट पेपर का यूज मुख्य रूप से वॉशरूम जैसी जगहों पर किया जाता है लेकिन इसी से मिलते जुलते टिशू पेपर का भी खूब उपयोग होगा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसे सफेद ही क्यों बनाया जाता है. टॉयलेट पेपर एक विशेष प्रकार के फाइबर से बनाए जाते हैं, इन्हें सेल्यूलोज फाइबर कहा जाता है.
असल में जिस फायबर से टॉयलेट पेपर तैयार किया जाता है वो प्राकृतिक तौर पर सफेद ही होता है. इसे तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान जब ब्लीच का इस्तेमाल किया जाता है तो गंदा वाला हिस्सा पूरी तरह से हट जाता है. इस तरह यह अधिक सफेद हो जाता है.
इसे रद्दी कागजों से भी तैयार किया जाता है. पुराने पेपर और रद्दी वाले पेपर से भी इसे तैयार किया जाता है. एक कारण यह भी बताया जाता है कि अगर इसे रंग बिरंगा बनाया जाए तो इसका यूज करते समय यह कलर छोड़ सकता है.
यह भी बताया जाता है कि रंग बिरंगे टॉयलेट पेपर को हेल्थ के हिसाब से सही माना जाता है और डॉक्टर्स भी सफेद टॉयलेट पेपर इस्तेमाल करने के की ही सलाह देते हैं.
इनके अलावा सफेद पेपर इको-फ्रैंडली माना जाता है और इसे डिकम्पोज करना भी आसान होता है.हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक काफी पहले टॉयलेट में रंगीन पेपर का इस्तेमाल होता था.