दुनिया की पहली अंडरग्राउंड रेलवे जिसने बदल दी ट्रेन की परिभाषा, लेकिन ट्यूब के नाम से क्यों है मशहूर? जानिए दिलचस्प कहानी
World`s First Underground Railway: आज जब पूरी दुनिया के बड़े शहरों में अंडरग्राउंड रेलवे का जाल बिछा हुआ है. मेट्रो आधुनिक ट्रांसपोर्ट का अहम हिस्सा बन चुकी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे पहली अंडरग्राउंड ट्रेन सेवा कहां शुरू हुई थी? आइए, जानते हैं इस ऐतिहासिक सफर की दिलचस्प कहानी
आज से 160 साल पहले जब 1863 में लंदन में जब दुनिया की पहली अंडरग्राउंड ट्रेन चली तो यह सिर्फ एक तकनीकी चमत्कार नहीं था, बल्कि शहरी ट्रांसपोर्ट में क्रांति की शुरुआत थी.'ट्यूब' के नाम से मशहूर यह रेलवे नेटवर्क आधुनिक शहरों के ट्रांसपोर्ट की रीढ़ बना. आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक रेलवे की अनोखी कहानी
लंदन की सड़कों पर बढ़ती भीड़भाड़ से निपटने के लिए 1863 में पहली अंडरग्राउंड रेलवे चलाई गई. इसे 'सब-सर्फेस लाइन' कहा जाता था, जिसे जमीन खोदकर, पटरी बिछाकर, और फिर उसे ढककर बनाया गया था. शुरुआती दिनों में इस रेलवे में भाप से चलने वाली ट्रेनें इस्तेमाल की जाती थीं.
1863 में पहली बार अंडरग्राउंड ट्रेन की शुरुआत पैडिंगटन और फैरिंगडॉन स्ट्रीट स्टेशनों के बीच चली. इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व सर जॉन फॉलर ने किया था. वह इस प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर थे. लंदन में इस नेटवर्क को ट्यूब कहा जाता है. हालांकि, 1870 तक सुरक्षित और गहरी टनल बन जाने के बाद भी ट्यूब नेटवर्क को प्रैक्टिकल होने के लिए इलेक्ट्रिक पॉवर और लिफ्ट जैसी टेक्नोलॉजी का इंतजार करना पड़ा.
1880 के दशक के अंत तक इलेक्ट्रिक पॉवर और लिफ्ट जैसी सुविधा मिल जाने के बाद ट्यूब रेल के प्रति लोगों की रुचि तो थी, लेकिन निवेशक इसे जोखिम भरा मानते थे. वर्षों कोशिश के बाद 1906-07 में अमेरिकी फाइनेंसर की मदद से इस प्रोजेक्ट पर फिर से काम शुरू हुआ, जिससे आधुनिक ट्यूब सिस्टम की बुनियाद पड़ी.
1908 में अलग-अलग कंपनियों ने 'UndergrounD' ब्रांड के तहत मिलकर काम करना शुरू किया. इसके बाद इस नेटवर्क का विस्तार हुआ. लंदन की बढ़ती आबादी के साथ यह नेटवर्क शहर की जरूरतों के लिए जरूरी हो गया. लगभग 160 साल पहले शुरू हुई अंडरग्राउंड रेलवे आज दुनिया के सबसे बड़े अंडरग्राउंड नेटवर्क्स में से एक है.