Patna: आमतौर पर लोग पुलिस एफआईआर (FIR) के नाम से डरते हैं. लेकिन, इस मामले में कांग्रेस नेताओं (Congress Leader) के साथ हालात बिलकुल अलग हैं. बिहार के कांग्रेसी नेता खुद पर एफआईआर दर्ज नहीं होने से परेशान हैं. दरअसल, मामला हैरान करनेवाला है लेकिन रोचक है. राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है.


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पानी में साईकिल मार्च की मेहनत
बीते दिनों पटना में महंगाई के खिलाफ कांग्रेसियों का बड़ा साईकिल मार्च हुआ. मार्च पटना के बोरिंग रोड से गांधी मैदान तक हुआ. मार्च में प्रभारी भक्त चरण दास (Bhakat Charan Das), प्रभारी सचिव खाबरी, तारिक अनवर, शकील अहमद, निखिल कुमार, मदन मोहन झा, अजित शर्मा, प्रेमचन्द्र मिश्रा, समीर सिंह समेत पार्टी के कई नेता कार्यकर्ता शामिल हुए. साईकिल मार्च को सफल बनाने के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने काफी तैयारी भी की.


मार्च में अपने समर्थकों की भीड़ दिखाने के लिए संपन्न कांग्रेसी नेताओं ने दर्जनों साईकिल की खरीद भी की, जिनके पास साईकिल नहीं थी उन्होंने साईकिल उधार में लिया. जिन्हें साईकिल उधार में नहीं मिला या जो साईकिल नहीं खरीदना चाहते थे वो पैदल ही मार्च करते गांधी मैदान तक जा पहुंचे. 


जिला प्रशासन से मार्च की नहीं मिली थी अनुमति 
महंगाई के खिलाफ निकले इस मार्च को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से कोई मंजूरी नहीं दी गयी थी. कांग्रेसियों को ये पता था कि मार्च को प्रशासनिक मंजूरी नहीं होने की वजह से एफआईआर होना तय है. बाद में इस एफआईआर के खिलाफ सरकार पर आंदोलन को दबाने और आलाकमान से सहानुभूति बटोरने की भी तैयारी कांग्रेसियों ने कर रख थी, लेकिन कांग्रेसियों का ये दांव बिलकुल उल्टा पर गया.


पुलिस के साथ धक्कामुक्की भी की 
दरअसल, बोरिंग रोड से शुरु हुए इस मार्च को रोकने के लिए पटना पुलिस और जिला प्रशासन की तरफ से कांग्रेसियों को काफी समझाने की कोशिश की गयी. लेकिन कांग्रेसी नहीं माने। पुलिस के साथ धक्का मुक्की करते हुए कांग्रेसी बोरिंग रोड इनकम टैक्स डाकबंगला होते हुए गांधी मैदान गांधी मूर्ति के पास पहुंच गये. कांग्रेसियों को ये उम्मीद थी जैसे ही एफआईआर में उनका नाम दर्ज होगा वो एफआईआर की कॉपी अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर पोस्ट करते हुए आलाकमान को टैग कर देंगे. लेकिन कांग्रेसियों की उम्मीद पूरी नहीं हो सकी.


पुलिस एफआईआर में केवल चार कांग्रेस नेताओं के नाम शामिल 
जिला प्रशासन की तरफ से हुए एफआईआर की कॉपी को देखते ही कांग्रसियों का उत्साह जमीन पर आ गया. साईकिल मार्च में सैंकडों की संख्या में शामिल कांग्रेसियों में से सिर्फ चार कांग्रेसियों पर ही नेम्ड एफआईआर दर्ज किया गया, जिनमें प्रेमचन्द्र मिश्रा, मदन मोहन झा, अजित शर्मा और निखिल कुमार का नाम शामिल है. बाकी डेढ़ सौ अन्य कांग्रेसियों पर एफआईआर कर दिया गया, जिनकी पहचान नहीं हो सकी. कानूनी लहजे में कहें तो मार्च का मुख्य सूत्रधार कानून ने एफआईआर वाले चार नेताओं को ही माना. जिन नेताओं पर नाम के साथ एफआईआर हुआ वो इनदिनों काफी उत्साहित हैं और उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एफआईआर की कॉपी पेस्ट कर दी है.


कांग्रेसियों को खुद पर एफआईआर दर्ज नहीं होने का दुख सता रहा 
हमारे संवाददाता ने जब कुछ कांग्रेस के नेताओं से मार्च की सफलता को लेकर ऑफ रिकार्ड बातचीत की तो उनके रिएक्सन चौकाने वाले थे. एक नेता ने बताया कि उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया है. कम से कम एफआईआर पर नाम आ जाता तो आलाकमान को ये बताने की जरुरत नहीं पड़ती की हमने काफी मेहनत की. मार्च के बाद कुछ कांग्रेसी दूसरे दिन प्रभारी के पास पहुंचकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश भी करते नजर आए. कुछ नेता लंगरा कर चल रहे थे तो कुछ पुलिस के साथ हुई अपनी झड़प वाली वीरता का बखान कर रहे थे लेकिन एफआईआर में नाम नहीं दर्ज होने की पीड़ा भी उनके जुबान से निकल रही थी. हलांकि, जिन नेताओं पर नेम्ड एफआईआर दर्ज हुआ वो बेल लेने की चिंता में नजर आए.