भुवनेश्वर: भारतीय जनता पार्टी की ओडिशा इकाई ने शुक्रवार को कहा कि वह चाहती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 के आम चुनाव में पुरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें. ओडिशा बीजेपी बसंत पांडा ने कहा कि मोदी को पुरी से पार्टी का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव पार्टी के संसदीय बोर्ड के समक्ष रखा जाएगा. पांडा ने संवाददाताओं से कहा, "इस संबंध में अंतिम फैसला संसदीय बोर्ड लेगा."  


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हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पुरी में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. बीजेपी प्रत्याशी अशोक साहू तीसरे स्थान पर रहे थे. बीजेडी के पिनाकी मिश्रा को जीत मिली थी. जबकि कांग्रेस उम्मीदवार सुचमिता मोहंती दूसरे स्थान पर रहे थे. इन सबके बावजूद पार्टी के प्रदेश नेतृत्व का मानना है कि मोदी की उम्मीदवारी राज्य के तटीय इलाके में राजनीतिक स्थिति को बदलेगी. इस क्षेत्र को नवीन पटनायक की अध्यक्षता वाली सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) का गढ़ माना जाता है. पुरी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के तहत सात विधानसभा सीटों में से केवल एक सीट बीजेपी के पास है जबिक शेष छह सीटों पर बीजेडी का कब्जा है. 



 
वैसे यह पहला मौका नहीं है जब पीएम मोदी के पुरी से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट सामने आई हो. लंबे अर्से से राजनीतिक गलियारों में इस तरह की खबरों की चर्चा रही है कि 2019 में पीएम मोदी वाराणसी के अलावा पुरी से चुनाव लड़ सकते हैं. पिछले लंबे अर्से से बीजेपी केंद्रीय की नजर ओडिशा पर है. केंद्र में एनडीए सरकार के 4 साल पूरे होने पर 26 मई को पीएम नरेंद्र मोदी ने ओडिशा के कटक में जनसभा की थी. इससे पहले 15 अप्रैल 2017 को बीजेपी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में पीएम मोदी शामिल हुए थे. 


क्या है पुरी से चुनाव लड़ने का गणित
बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में उन राज्यों पर ज्यादा फोकस कर रही है जिसमें उसका वोट प्रतिशत 2014 में बहुत कम था. इसी के मद्देनजर पार्टी ने 2019 के लिए छह राज्यों - आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और ओडिशा पर अपनी नजर गड़ा दी है. इन राज्यों से लोकसभा की कुल 164 सीटें आती हैं लेकिन पिछली बार बीजेपी को इनमें से सिर्फ सात सीटें मिल सकी थी. बीजेपी लीडरशिप को लगता है कि इन राज्यों पर ध्यान केंद्रित कर पिछले चुनाव में बेहतर प्रदर्शन वाले राज्यों में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सकती है.  



ओडिशा-तेलंगाना विधानसभा चुनाव पर नजर
ओडिशा और तेलंगाना विधानसभा चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव के साथ कराए जा सकते हैं. ओडिशा में बीजेडी की सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाकर बीजेपी खुद को मजबूत करना चाहती है. पटनायक पिछले 18 साल से सत्ता में हैं. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक 2000 से सीएम की कुर्सी पर हैं. ओडिशा के साथ तेलंगाना में भी बीजेपी अकेले चुनाव मैदान में हैं. टीआरएस से पार्टी ने कोई गठबंधन नहीं किया है. अगर पीएम मोदी पुरी सीट से चुनाव लड़े तो बीजेपी को दक्षिण भारत में अपना प्रभुत्व बढ़ाने में मदद मिलेगी.   


(इनपुट भाषा से)