हाथरस में ऐसे रची गई साजिश, दंगे करवाने के लिए हुई 100 करोड़ रुपये की फंडिंग

यूपी सरकार ने हाथरस में दलित लड़की की हत्या के बाद मामले को तूल देने और जातीय दंगे भड़काने के लिए 100 करोड़ रुपये की फंडिंग का दावा किया है. दंगे भड़काने के लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई थी.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Mon, 05 Oct 2020-11:26 pm,
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दंगों करवाने के लिए कट्टरवादी संगठनों और माफिया सरगनाओं ने की मिलीभगत

योगी सरकार की सख्त कार्रवाई के खार खाए माफिया सरगनाओं और हाथरस में दलित लड़की की मौत को एक मौके रूप में देखा और इसे सवर्ण बनाम दलितों के दंगों में बदलवाने के लिए आपस में हाथ मिला लिए.

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पीड़ित लड़की से कई फर्जी घटनाक्रम जोड़कर अफवाह फैलाई गई

साजिशकर्ताओं ने योजना के तहत हाथरस की पीड़ित लड़की के संबंध में कई फर्जी घटनाक्रम जोड़कर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलानी शुरू कर दी. इससे लोगों में गुस्सा भड़क गया.

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दंगा भड़काने के लिए तकनीक का इस्तेमाल

यूपी को जातीय दंगों की आग में झोंकने के लिए साजिशकर्ताओं ने तकनीक का इस्तेमाल किया. फोटोशॉप की मदद से पीड़िता के फोटो और प्रदेश सरकार के कई फर्जी आदेश बनाकर लोगों में अफवाह फैलाई गई.

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चंडीगढ़ की तस्वीर का हाथरस मामले में इस्तेमाल

पुलिस के दावे के मुताबिक साजिशकर्ताओं में उत्पीड़न का शिकार हुई एक लड़की के फोटो को हाथरस पीड़िता का फोटो बताकर सोशल मीडिया पर शेयर किया और उसको न्याय दिलाने के लिए लोगों को आगे आने की अपील की गई.

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पुलिस के हाथ लगे दंगे की साजिश के ऑडियो टेप

यूपी पुलिस को कई ऐसे ऑडियो टेप मिले हैं. जिसमें हाथरस मामले को ज्यादा से ज्यादा तूल देने की बात कही जा रही है. पुलिस इन ऑडियो टेप में दर्ज आवाज को पहचानने की कोशिश कर रही है.

 

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कई राजनेता- पत्रकारों की आवाज में ऑडियो में दर्ज

यूपी पुलिस के हाथ लगे ऑडियो टेप में कई राजनीतिक दलों के नेताओं और पत्रकारों की आवाज भी रिकॉर्ड हुई है. पुलिस अब इन ऑडियो टेप की सच्चाई पता करने में लगी है.

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जातीय हिंसा से माहौल बिगाड़ने की कोशिश

सूत्रों के मुताबिक पिछले कई महीनों से यूपी में योगी सरकार को उखाड़ फेंकने का मौका देख रहे विरोधियों हाथरस केस में यह चांस दिख गया है. दावा है कि इस केस के बहाने वे यूपी में जातीय हिंसा करवाना चाहते हैं.

 

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सीएए के खिलाफ भी कर चुके हैं हिंसक विरोध

कट्टरवादी और वामपंथी इससे पहले भी सीएए के विरोध के नाम पर यूपी में हिंसा फैला चुके हैं. लेकिन योगी सरकार ने दंगाइयों पर सख्त कार्रवाई की थी. जिससे वे भड़के हुए थे.

 

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माफियाओं को दिखाई उनकी औकात

यूपी में माफिया सरगनाओं के खिलाफ इन दिनों बड़े पैमाने पर अभियान चल रहा है. मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे बाहुबली बदमाशों की संपत्ति कुर्क हो चुके हैं. इसके चलते वे भी योगी सरकार को सबक सिखाने के लिए अवसर ढूंढ रहे थे.

 

 

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कृषि कानून पर किसानों को भड़काने की कोशिश

केंद्र सरकार ने पिछले दिनों संसद से कृषि कानून पास किया. इन कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात न लिखी होने पर किसानों ने कई जगहों पर विरोध किया. विरोधियों ने इस मुद्दे पर भी किसानों को भड़काने की कोशिश की.

 

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अपराधियों पर कार्रवाईयों से कई नेताओं को नाराजगी यूपी का दंगों की आग में झोंक देने का प्लान

यूपी को अपराध मुक्त करने के लिए योगी सरकार पिछले कई महीनें से नामी अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ अभियान चला रही है. इनमें बदमाशों के एनकाउंटर और कुर्की भी शामिल है. कई राजनेता इस कार्रवाई को आम लोगों को उत्पीड़न कहकर विरोध करते रहे हैं.

 

 

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यूपी का दंगों की आग में झोंक देने का प्लान

योगी सरकार से सख्त रूख से सकते में आए विरोधियों ने हाथरस में दलित लड़की की हत्या को एक बड़े मौके के रूप में देखा और इसके बहाने यूपी को दंगों की आग में झोंकने की प्लानिंग में जुट गए.

 

 

 

 

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योगी सरकार को अस्थिर करने की तैयारी

पुलिस का दावा है कि हाथरस घटना के बहाने विरोधी ताकतों का यूपी की योगी सरकार को अस्थिर करने का प्लान था. लेकिन पुलिस के हाथ लगे ऑडियो टेप ने उनकी योजना पर पानी फेर दिया.

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पीएम मोदी के खिलाफ माहौल बनाने की साजिश

पुलिस सूत्रों का कहना है कि हाथरस घटना के जरिए योगी सरकार के अलावा पीएम मोदी की छवि को भी धूमिल करने की साजिश थी. यही वजह थी कि विरोधी बार-बार पीएम मोदी से हाथरस घटना पर बयान देने के लिए ललकार रहे थे.

 

 

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साजिश में मिल गए नेता, पत्रकार, माफिया और कई संगठन

यूपी पुलिस का कहना है कि हाथरस घटना को जातीय तनाव का एंगल देने में नेता, पत्रकार, माफिया और कई छिपे हुए संगठनों ने बड़ी भूमिका निभाए. इस तनाव को पैदा करने के पीछे सबके अपने अपने हित थे.

 

 

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दंगा भड़काने के लिए बनाई गई वेबसाइट

सूत्रों के मुताबिक यूपी में जातीय दंगा भड़काने के लिए जस्टिस फॉर हाथरस नाम की वेबसाइट बनाई गई. इस वेबसाइट को माफिया सरगनाओं समेत मुस्लिम मुल्कों से भी फंडिंग मिली.

 

 

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दिल्ली-बेंगलुरू के बाद अगला निशाना यूपी

पुलिस के दावे के मुताबिक सीएए और कुरान की बेअदबी के खिलाफ दिल्ली व बेंगलुरू को दंगों की आग में झोंकने के बाद अब अगला निशाना यूपी को बनाया गया था. लेकिन इस बार दंगा मजहबी न होकर जातीय आधार पर करवाने का प्लान था.

 

 

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दंगों की साजिश नहीं हो पाई कामयाब

इससे पहले कि यूपी में जातीय दंगों की यह साजिश कामयाब हो पाती. पुलिस ने वेबसाइट निर्माताओं समेत बाकी साजिशकर्ताओं की तलाश शुरू कर दी. इसके चलते साजिशकर्ता फिलहाल अपने घरों में दुबकने को मजबूर हो गए हैं.

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