Gandhi Fellowship Celebrates Graduation: पीरामल फाउंडेशन की एक सकारात्मक पहल, गांधी फैलोशिप के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन था.  दिल्ली में गांधी फेलोशिप के 500 गांधी फेलो का सबसे बड़े समूह ग्रेएजुएट हुआ. गांधी फेलोशिप ने जोर-शोर से इस ग्रेजुएशन का उत्सव मनाया. इस अवसर पर दीक्षांत समारोह तीन दिवसीय कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें पूर्व छात्र, अभिभावक, कॉलेज के डीन, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) सहयोगी और विभिन्न अन्य हितधारक उपस्थित रहे. 


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इस आयोजन का विषय 'अनफोल्डिंग पॉसिबिलिटीज' था. इसके तहत फेलो युवाओं ने पैनल चर्चाओं में भाग लिया और पिरामल फाउंडेशन के कार्यक्रमों, द बिग बेट्स एंड थ्योरी ऑफ चेंज फॉर ट्रांसफॉर्मेशन पर केंद्रित प्रदर्शनियों के माध्यम से अपने अनुभव साझा किए. 2008 में स्थापित, फेलोशिप का उद्देश्य देशभर में परिवर्तन ला सकने वाले लीडर्स को तैयार करना और सकारात्मक बदलाव के लिए जमीनी स्तर पर काम करके सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली को नया रूप देना है. 


गांधी फेलो समुदायिक बदलाव के लिए क्षेत्र के हितधारकों के साथ मिलकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावशाली पहल करते हैं. जैसे- पुस्तकालय, बल्डिंग एज़ लर्निंग एड (बाला) एक्टिविटी के रूप में निर्माण, प्रौद्योगिकी के लिए फंड रेज़िंग (धन की व्यवस्था) और स्वयं सहायता समूहों के लिए समर्थन हासिल करने जैसे काम करते हैं. महात्मा गांधी के सिद्धांतों से प्रेरित और निर्देशित यह फेलोशिप व्यक्तिगत विकास, अनुभव परक शिक्षा और सामाजिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित एवं हल करने पर केंद्रित है।


स्नातक होने वाले फेलो अपनी यात्रा को जारी रखेंगे. ग्रेएजुएशन के बाद की इस यात्रा में उनका अपना व्यक्तिगत जुनून और रुचि उनके विकास में सहायक साबित होगी. ऐसे ग्रेएजुएट्स के लिए अवसरों की कमी नहीं हैं. वे फाउंडेशन या अन्य विकास एजेंसियों के साथ काम करना जारी रख सकते हैं. इसके अलवा वे चाहें तो अपनी सोशल इंटरप्रेन्योरशिप (सामाजिक उद्यमिता)  शुरू कर सकते हैं, सरकार में काम कर सकते हैं या आगे की पढ़ाई कर सकते हैं. वे उन रास्तों को अपना सकते हैं, जिन पर चलकर यहां के पूर्व छात्रों का नेटवर्क अपने अनोखे तरीकों से भारत के नवनिर्माण के सपने को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा है.


इस अवसर पर पीरामल समूह के अध्यक्ष और पिरामल फाउंडेशन के संस्थापक अजय पिरामल ने कहा कि परिवर्तनकारी सामाजिक और आर्थिक विकास के अगले चरण को बढ़ावा देने के लिए, देश के डेमोग्राफिक डिविडेंड का उपयोग करना महत्वपूर्ण है. गांधी फैलोशिप हमारे युवाओं के जुनून, करुणा और सेवा की सहज भावना को प्रज्वलित करने के लिए उनके दिलों और दिमाग में प्रवेश करने का एक प्रयास है. दो साल का यह कार्यक्रम खुद को जानने समझने, आत्म-खोज, सेवा भाव की भावना को आत्मसात करने के बारे में है. ऐसा इसलिए जरूरी है, क्योंकि ये युवा सामाजिक मुद्दों को समझने और उनसे निपटने के लिए आगे काम करने वाले हैं. गांधी फैलोशिप कार्यक्रम मेरी राय में युवा लीडर्स के पोषण में एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक रहा है और मुझे आज 500 फेलो के स्नातक होने पर बहुत गर्व है.