What Is Art: कला है सबसे बड़ा धन! लेकिन टी वी शोज की चकाचौंध में लापता होता जा रहा है कलाकार
Dhruvpad seeker and music expert on art: ध्रुवपद साधिका एवं संगीत विशेषज्ञ डॉ अदिति शर्मा गर्ग का कहना है कि जिसके पास कला है, वह सबसे बड़ा धनी है! संगीत और ललित कलाएं तो परम विद्या हैं! संगीत तो भागवत चर्चा का विषय है और कला मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है.
Dr Aditi Sharma Garg On Art: नीता मुकेश अम्बानी ने राम नवमी के पावन अवसर पर एन एम ए सी सी (NMACC) नामक सांस्कृतिक केंद्र का भव्य उद्घाटन मुंबई में किया. सांस्कृतिक जागरण एवं कलाओं के संरक्षण हेतु इस स्थल की परिकल्पना को वास्तविक रूप प्रदान किया गया; देश ही नहीं विश्व की सर्वोत्तम विभूतियों में संकलित कलाओं को विशेष रूप से समर्पित इस स्थान का निर्माण किया गया है.
नीता अंबानी भी हैं कलाकार
ध्रुवपद साधिका एवं संगीत विशेषज्ञ डॉ अदिति शर्मा गर्ग का कहना है कि नीता अंबानी विश्व की प्रसिद्ध महिला उद्यमी और समाजसेविका हैं लेकिन उससे पहले वो एक भरतनाट्यम् नृत्यांगना भी हैं. इस परिचय से हम सब अवगत नहीं थे; उनका कलाकार होना सबके लिए एक आश्चर्य जैसा है. धन, वैभव, ऐश्वर्य सम्पदा का रत्ती भर भी अभाव ना होने पर भी उन्होंने कलाकार होना ही सर्वोपरि क्यूँ माना? कला वह आभूषण है जो आपको भीड़ से अलग करता है. जब मां सरस्वती की कृपा होती है तब कोई मनुष्य कलाकार बनता है. कला हम नहीं, बल्कि कला हमें चुनती है!
विद्यां ददाति विनय, विनयाद् याति पात्रताम्. पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्म ततः सुखम् ॥
अर्थात् प्राप्त विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है, पात्रता से धन आता है, धन से धर्म होता है, और धर्म से सुख होता है.
कला मोक्ष प्राप्ति का मार्ग
ध्रुवपद साधिका एवं संगीत विशेषज्ञ डॉ अदिति शर्मा गर्ग आगे बताती हैं कि 'पिछले जनम में कुछ हीरे मोती दान किए होंगे तो इस जनम में संगीत की साधना करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ' ऐसा उन्होंने अपने गुरुओं-दादाजी एवं पिताजी से सुना है जिसकी महत्ता आज उन्हें समझ आती है. जिसके पास कला है, वह सबसे बड़ा धनी है! संगीत और ललित कलाएं तो परम विद्या हैं! संगीत तो भागवत चर्चा का विषय है और कला मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है.
40 मिनट की प्रस्तुति के पीछे 40 साल का तप
आज के इस युग में जब उचित मानदेय भेंट करने में जो लोग कलाकार से मोलभाव करते है वह उसकी की 40 मिनट की प्रस्तुति की पीछे उसका 40 साल का तप नहीं देखते. टी वी शोज की चकाचौंध और ग्लैमर के छलावे में आकर अनेक कलाकार अपने अस्तित्व को तिलांजलि दे देते है और कई प्रोडक्शन हाउस की कठपुतली बन जाने पर विवश हो जाते है.
कलाकार होता है कला का साधक
कलाकर समाज का दर्पण हैं और समाज कलाकार की प्रेरणा. समाज के प्रतिबिम्ब को अवलोकित करते हुए कलाकार का दायित्व है अपनी धरोहर को आज और भविष्य में संजोए का रखना. कलाकार को कला साधक कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है बल्कि यही कलाकर होने का परम धर्म है कि वह अपने परस्पर परिश्रम से समाज का उत्थान करे और अपनी साधना में लीन होते हुए अपनी संस्कृति की सुगंधी हर दिशा में फैलाएं. अम्बानी परिवार द्वारा यह जय घोष पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति और भारतीयता का बिगुल बजा रहा है. भारतवर्ष विश्व में प्राची सुधा है, भारतीय होने के नाते प्रत्येक का यह प्रयास होना चाहिए कि वें कलाओं का अपने जीवन, अपने आचरण और अपने व्यवहार में सहज रूप से अनुसरण करें जिससे एक सुंदर समाज का निर्माण करने में हम सब सफल हों सकें.
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