राहुल गांधी को सजा- कांग्रेस और भाजपा के लिए क्या हैं इसके मायने, चुनाव पर क्या पड़ेगा असर?
Rahul Gandhi: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने 2019 के मानहानि के एक मामले में दो साल की सजा सुनाई है. जिसके कारण राहुल गांधी को, 24 मार्च को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया है.
Rahul Gandhi News: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत ने 2019 के मानहानि के एक मामले में दो साल की सजा सुनाई है. जिसके कारण राहुल गांधी को, 24 मार्च को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया है. साथ ही एक महीने के अंदर उन्हें अपने सरकारी आवास, 10 जनपथ को भी खाली करने का आदेश हो गया है. जिसके कारण कांग्रेस पूरे देश में प्रदर्शन भी कर रही है. जिसमें कांग्रेस द्वारा विपक्षी दलों को भी साथ लाने की जोरदार कोशिश हो रही है.
राहुल गांधी को अदालत द्वारा अयोग्य ठहराये जाने के बाद कांग्रेस के अलावा, अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भी सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्ज कराया. जिसमें बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आदि प्रमुख हैं.
इसी राजनीतिक बयानबाजी के बीच बुधवार को कर्नाटक चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया. कर्नाटक चुनाव के प्रचार में, कांग्रेस राहुल गांधी की सदस्यता जाने वाले विषय को प्रमुखता से जनता के बीच उठाएगी, ऐसा बीजेपी का दावा है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस इस मुद्दे को, 'बीजेपी की निरंकुश सरकार के विरोध में - राहुल गांधी एक मजबूत प्रतिरोध व लोकतंत्र का रक्षक' के तौर पर जनता के बीच पेश करेगी. साथ ही लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के लिए बीजेपी हटाओ और कांग्रेस व राहुल लाओ का संदेश प्रमुखता से दे सकती है. जिससे उसे जनता की भावनाओं को कांग्रेस की तरफ मोड़ने में सुविधा होगी.
इस मुद्दे की धमक बुधवार को पूर्वोत्तर में भी सुनाई दी. जब असम विधानसभा में राहुल गांधी के पूर्व सहयोगी व कांग्रेस के पूर्व नेता और वर्तमान में 'पूर्वोत्तर में बीजेपी के चाणक्य' और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने सदन में कहा कि 'कल अगर अदालत मुझे किसी चीज में दोषी ठहराती है तो क्या बीजेपी विधायक काले कपड़े पहनेंगे और प्रदर्शन करेंगे? नहीं... हम सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, लेकिन हम अदालत की अवमानना नहीं करेंगे. यह चलन भारतीय लोकतंत्र के लिए सही नहीं है.'
शुक्रवार, 24 मार्च को अदालत का फैसला आने के अगले दिन भी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि कभी-कभी जुबान फिसल जाती है. अगर राहुल गांधी माफ़ी मांग लेते तो मामला वहीं खत्म हो जाता. अब राहुल अपने अहंकार का परिणाम भुगत रहे.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा इससे पहले भी लगातार राहुल गांधी पर कई मौकों पर हमलावर रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस छोड़ने के अपने फैसले के पीछे राहुल गांधी को ही दोषी ठहराया था. गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी की तुलना इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन से की थी.
गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर थे और उनकी दाढ़ी और बाल बढ़े हुए थे. इसी लुक पर अहमदाबाद की एक रैली में हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि कांग्रेस नेता का चेहरा अब बदल गया है. वह सद्दाम हुसैन की तरह दिख रहे हैं. मैंने कुछ दिन पहले एक साक्षात्कार में कहा था कि राहुल के नए लुक से कोई समस्या नहीं है. लेकिन अगर आपको अपना लुक बदलना ही है तो कम से कम पटेल या नेहरू जैसा लुक बनाइए. गांधीजी की तरह दिखें तो और भी अच्छा है. लेकिन अब आप सद्दाम हुसैन की तरह क्यों दिख रहे हैं?'
साथ ही हिमंत बिस्वा सरमा गांधी परिवार पर भी हमला करते रहे हैं. सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस के सबूत मांगने पर कटाक्ष करते हुए सरमा ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान एक जनसभा में कहा था कि क्या हमने कभी इस बात का सबूत मांगा है कि आप किस पिता के बेटे हैं? आपको सेना से सबूत मांगने का क्या अधिकार है? साथ ही सरमा ने तब राहुल को आधुनिक जिन्ना तक करार दिया था.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा कांग्रेस छोड़ने के बाद से ही लगातार राहुल गांधी और कांग्रेस पर स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर हमलावर रहे हैं. उनके इसी तल्ख तेवर की राजनीति ने पूर्वोत्तर में कांग्रेस को हाशिये पर ला दिया है. जिसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ है. जो पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में North East Democratic Alliance (NEDA) के साथ सत्ता में हैं. NEDA के मुखिया के तौर पर सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने अच्छा काम किया है. जिसके परिणामस्वरूप पार्टी ने राष्ट्रीय राजनीति में सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को जगह दी और उन्होंने अपने को हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता के तौर पर राष्ट्रीय स्तर स्थापित कर लिया है. गुजरात और उत्तराखंड विधानसभा में बीजेपी ने सीएम हिमंत बिस्वा सरमा को प्रमुखता से चुनाव प्रचार में उतारा था. और अब कर्नाटक चुनाव के प्रचार में भी उनको फ्रंट लाइन में खिलाया जा रहा है. जिससे सीएम हिमंत की अहमयित साबित होती है.
वहीं कांग्रेस के नेता लगातार कह रहे हैं कि जिस तरह से बीजेपी सरकार के सभी मंत्री और बड़े नेता बयान दे रहे हैं उससे ये संकेत साफ तौर पर जनता के बीच जा रहा है कि सरकार अदानी के मामले में दबाव है. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी की सरकार और पार्टी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और लगातार लोकतांत्रिक संस्थाओं को कुचलने का काम कर रही है.
जिस तरह से राहुल गांधी की सदस्यता निरस्त की गई, उस घटना ने उन विपक्षी दलों को भी कांग्रेस के साथ खड़ा कर दिया है जिन्होंने उससे दूरी बनाई हुई थी. जिसमें टीएमसी, सपा, जनता दल यू, आदि दल शामिल हैं. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि जिस तरह से वो सदन में बोलते रहे और सरकार को घेर रहे थे उससे सत्ता पक्ष असहज था.
अदालत का फैसला आने के अगले दिन राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस करके साफ कहा था, 'गांधी किसी से माफी नहीं मांगते.' उनके इस बयान से साफ हो गया था कि वो कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं. जेल भी जाने के लिए तैयार हैं. अब इससे कांग्रेस को फायदा होगा या जनता कुछ समय बाद भूल जायेगी, ये तो आने वाला समय और चुनाव ही बतायेगा.