Northeast India: पूर्वोत्तर भारत हमेशा से प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण रहा है. वहां पर कई आदिवासी सभ्यताओं ने जन्म लिया और फली फूलीं. अंग्रेजों के आने से पहले तक ये भाग, भारत की मुख्य भूमि से लगभग कटे हुए थे. या कहें भारत का अंग होते हुए भी अपनी अलग संस्कृति और राजनीतिक विरासत को सहेजे हुए थे. 


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अंग्रेजों द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों में अपने पैर जमाने के लिए सबसे पहले धर्म का सहारा लिया. जिसके लिए उन्होंने वहां चर्च स्थापित किए. चर्च ने कई तरह के सभ्य-असभ्य हथकंडे अपनाकर पूर्वोत्तर की ज्यादातर जनता को ईसाई धर्म में कन्वर्ट (धर्मान्तरित) कर लिया और वहां की अपनी विशिष्ट व अतरंगी विरासत को बर्बाद कर दिया. लेकिन सांस्कृतिक तौर पर देखें तो पूर्वोत्तर के राज्य, खासकर असम प्राचीन काल से भारत का अभिन्न अंग है. जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है.


 असम की राजधानी  गुवाहाटी से 180 किमी की दूरी पर स्थित तेजपुर (शोणितपुर) नगर पौराणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. शोणितपुर नगर भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध और बाणासुर की पुत्री राजकुमारी उषा के प्रेम का साक्षी है. अपने पिता की इच्छा के विपरीत उषा ने अनिरुद्ध का वरण किया था. इसके परिणामस्वरूप श्री कृष्ण और बाणासुर के बीच भीषण युद्ध हुआ था. 


साथ ही असम में विश्व विख्यात शक्तिपीठ मां कामाख्या मंदिर स्थित है. जो हिंदू धर्म में शाक्त सम्प्रदाय को मानने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष स्थान रखता है. असम में स्थित नवग्रह मंदिर, वशिष्ठ आश्रम, उमानंद नदी द्वीप, माजुली द्वीप, शिवसागर, अभयापुरी, अश्वक्रान्ता आदि स्थान पौराणिक काल से सनातन धर्म से जुड़े हुए हैं.


लेकिन अंग्रेजों के समय शुरू हुए कन्वर्जन का सिलसिला आजादी के बाद भी नहीं रूका. कांग्रेस ने पूर्वोत्तर के राज्यों में कई दशकों तक शासन किया. लेकिन चर्च व ईसाई धर्म के धर्मान्तरण पर आंखें मूंदे रही. जिससे वहां पर हिंदू धर्म अल्पसंख्यक की श्रेणी में आ गए. 


बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम,नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल, मणिपुर के साथ लद्दाख, लक्षद्वीप, कश्मीर और पंजाब में यहूदी,बहई और हिंदू अल्पसंख्यक हैं. जिस पर मार्च 2022 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि जिन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं वहां राज्य सरकारें उन्हें अल्पसंख्यकों का दर्जा दे सकती हैं.


कांग्रेस पार्टी ने देश पर लगभग 6 दशकों तक शासन किया. पूर्वोत्तर के राज्यों में भी उनकी सरकार रही. लेकिन पूर्वोत्तर के विकास के लिए कभी ईमानदारी से प्रयास नहीं हुआ. वर्ष 2014 के बाद पूर्वोत्तर में विकास दिखना शुरू हुआ, ये बात वहां के स्थानीय लोग भी मानते हैं. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि नॉर्थ ईस्ट का मतलब है न्यू इंजन ऑफ इंडियन ग्रोथ.


पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को असम से ही चुनकर राज्यसभा भेजा गया था. लेकिन अपने पूरे दस साल के कार्यकाल में, वे मात्र 8 से 9 बार ही पूर्वोत्तर के दौरे पर गए थे. लेकिन वर्तमान एनडीए सरकार की विकास योजनाओं में पूर्वोत्तर का विकास, एजेंडे में सबसे ऊपर है. इसीलिए पीएम मोदी अपने 9 साल के कार्यकाल में 50 से ज्यादा बार पूर्वोत्तर के दौरे कर चुके हैं. ये बात हम नहीं, बल्कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद और वर्तमान असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व शर्मा के राजनीतिक सचिव पवित्र मारग्रेटा ने संसद के उच्च सदन में कही है.


पवित्र मारग्रेटा ने जी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि आज असम और पूर्वोत्तर में सभी जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोग बीजेपी से जुड़ रहे हैं. एनआरसी, बाल विवाह पर रोक, मदरसों के आधुनिकीकरण आदि जैसे मुद्दों को सभी वर्ग के लोग सकारात्मक रूप से देख रहे हैं. 


बीजेपी पर हिंदुत्व के लगते आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि पूरे असम में हमने 86 सीटों के कम्यूनिटी इलेक्शन में 78 सीटों पर जीत दर्ज की. जो बिना सभी वर्गों के सहयोग के संभव नहीं था, जिसमें मुस्लिम और ईसाई मत के लोग भी शामिल हैं. अगर मदरसे की जगह एक आधुनिक कॉलेज या लैब बनेगी तो इससे किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए.


सब अपनी बेटियों से प्यार करते हैं तो उनको बचाने के लिए अगर बाल विवाह कानून लायेगें तो किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए. हम अपनी सनातन संस्कृति को संरक्षित करते हुए, सभी मतों को सम्मान देते हुए, देशहित में, भविष्य को देखते हुए प्रगति के मार्ग पर पीएम मोदी और अमित शाह जी के मार्गदर्शन में और असम के मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व शर्मा के नेतृत्व में आगे बढ़ रहे हैं और असम और पूरे पूर्वोत्तर को भारत में चल रही विकास की मुख्य धारा के साथ जोड़ रहे हैं.


बीजेपी सांसद पवित्र मारग्रेटा ने आगे कहा कि आज पूर्वोत्तर में शांति स्थापित हो रही है. हिंसा की घटनाओं में 2014 के बाद लगभग 74 प्रतिशत की कमी आई है. 7000 से ज्यादा उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है. आशा है, जो केवल 1 या 2 उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं वो जल्द ही हिंसा का रास्ता छोड़ कर, विकास की मुख्य धारा में लौट आयेगें.


आज एनडीए की सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बजट में 3 गुना तक की वृद्धि की है. पूर्वोत्तर का बजट लगभग 34 हजार करोड़ रूपये से बढ़ा कर 94 हजार करोड़ रूपये तक कर दिया है. पूर्वोत्तर में पहला एम्स इसी सरकार ने दिया है. इस सरकार से पहले जहां ब्रह्मपुत्र नदी पर बड़े कुल तीन पुल थे उनकी संख्या इन नौ सालों में बढ़कर तेरह हो गई है. मतलब 67 सालों में केवल 3 पुल और 9 सालों में 10 पुल. जो इस सरकार और खासकर पीएम मोदी का पूर्वोत्तर राज्यों के प्रति स्नेह भाव को दर्शाता है.


पूर्वोत्तर राज्यों का विकास राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से तो जरूरी है ही, साथ ही सामरिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि ये क्षेत्र चीन, म्यांमार, बांग्लादेश, भूटान और सिक्किम में नेपाल से छूता है. चीन लगातार अपनी उकसाने वाली कूटनीति से बाज नहीं आ रहा है. हाल के एक-दो साल में डोकलाम, तवांग आदि कई स्थानों पर चीन ने दुस्साहस भरी हरकत की है. उसको देखते हुए पूर्वोत्तर राज्यों में विकास और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. जिससे समय रहते चीन या किसी अन्य देश की चालबाजियों का उचित समय पर सटीक जबाव दिया जा सके.