Investment Tips: भारत में रियल एस्टेट की बात करें तो इस सेक्टर में दिनोंदिन बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. रेजिडेंटल हो या फिर कमर्शियल प्रॉपर्टी, दोनों के दानों में पिछले कुछ सालों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. दिल्ली-एनसीआर रियल एस्टेट सेक्टर का बहुत बड़ा बाजार है. यहां सभी बड़े डेवलपर्स कई प्रोजेक्ट में निवेश कर रहे हैं. इसका फायदा जनता को भी मिला है. हालांकि, अभी भी कई लोग डेवलपर्स के प्रोजेक्ट में निवेश करने से बचते हैं. इसके पीछे पिछले सालों में हुए कई तरह के प्रोजेक्ट का पूरा न होना है. हालांकि, कुछ ऐसे प्वाइंट हैं, जिनको अगर ध्यान में रखकर कमर्शियल या रेजिडेंटल प्रॉपर्टी में निवेश किया जाए तो बायर्स धोखा नहीं खा सकता है. 


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दिल्ली-एनसीआर में अगर नोएडा और ग्रेटर नोएडा की बात करें तो यहां डेवलपर्स को जमीन 90 साल की लीज में मिलती है. पहले यहां रियल एस्टेट सेक्टर असंगठित था, लेकिन यूपी रेरा आने के बाद ये सेक्टर पूरी तरह से ऑर्गेनाइज हो गया है. राज्य सरकार ने कई तरह के नियमों में जहां ढील दी. वहीं, डेवलपर्स को अब अपने प्रोजेक्ट के बारे में सारी जानकारी ऑनलाइन देनी पड़ती है. देरी से चल रहे प्रोजेक्ट में अब प्राधिकरण और सरकार तेजी से एक्शन लेती है. 


श्री विनायक ग्रुप के चेयरमैन अंकुर मित्तल बताते हैं कि साल 2017 के आसपास करीब 300 प्रोजेक्ट रुक गए थे, लेकिन सरकारी हस्तक्षेप की वजह से अब उनकी संख्या 100 के आसपास भी नहीं रह गई है. बिल्डर्स अब तेजी से यूनिट्स की डिलीवरी दे रहे हैं. सरकार ने रुके हुए प्रोजेक्ट के लि सेंट्रल कमेटी बनाई दी, जिसके परिणामस्वरूप इस काम में तेजी देखने को मिली है. संभावना है कि जो भी प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं, उनके रजिस्ट्री की प्रक्रिया भी जल्द पूरी हो जाएगी.



कई खरीदारों के अनुसार, बिल्डर्स के पहले के कई मामलों को देखते हुए बायर्स अब प्रोजेक्ट में निवेश करने से घबराता है. उनको लगता है कि बैंक से लोन लेकर प्रोजेक्ट में निवेश कर लिया और प्रोजेक्ट में देरी हो गई तो वह कैसे मैनेज कर पाएंगे. इसको लेकर अंकुर मित्तल कहते हैं कि हर बायर्स को किसी भी प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले कुछ बिंदुओं में गौर करना चाहिए. ये सभी जानकारी आसानी से ऑनलाइन मिल सकती है और ग्राहक निश्चिंत होकर रह सकते हैं. ये बिंदु निम्न प्रकार हैं.


1- डेवलेपर का इतिहास 


2- डेवलेपर का ट्रेक रिकॉर्ड


3- डेवलेपर से मिलना कितना आसान है और कितना मुश्किल.


4- रेरा अप्रुवल और ऑल एनओसी 


5-  रेरा में प्रोजेक्ट की कंप्लीशन गाइडलाइन


6- - डेलवेपर ने बैंक से लोन लिया है कि नहीं या फिर वह कहीं डिफाल्टर तो नहीं है.


7- जिस जमीन पर प्रोजेक्ट बन रहा है, उसका पैसा कहीं प्राधिकरण में फंसा तो नही है.