Method of performing arti in hindi: हिंदू धर्म में पूजा के बाद आरती करने का विधान है. इसलिए बिना आरती किए पूजा पूरी नहीं मानी जाती है. धार्मिक मान्यतानुसार अगर पूजा के बाद आरती न की जाए तो इससे साधक को पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता है. इसके साथ ये भी माना जाता है कि अगर पूजा के बाद अपने इष्ट की विधिपूर्वक आरती न की जाए तो भगवान आपसे नाराज हो जाते हैं जिससे व्यक्ति को जीवन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. चलिए जानते हैं भगवान की आरती करने की पूरी विधि.


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आरती के लिए कैसे दीपक का करें चयन
आप अपने इष्ट की आरती के लिए अपनी श्रद्धा के मुताबिक कैसे भी दीपक का चयन कर सकते हैं, फिर चाहें वो एक बाती वाला या फिर पांच या फिर सात बाती वाला दीपक ही क्यों न हो. इसके बाद आपको पूजा के नियमों के अनुसार भगवान को घी या तेल का दीपक जलाना चाहिए. आरती को भगवान के चरणों की ओर 4 बार, नाभि की तरफ 2 बार और आखिर में उनके मुख की तरफ 1 बार घुमाना चाहिए. आरती के दौरान शंख और घंटी बजाने का भी बेहद महत्व है. धार्मिक मान्यतानुसार घंटी और शंख की आवाज से चारों तरफ का वातावरण शुद्ध हो जाता है. 


कैसे करनी चाहिए आरती
हिंदू शास्त्रों के अनुसार व्यक्ति को भगवान की आरती हमेशा खड़े होकर ही करनी चाहिए. लेकिन अगर आप खड़े होने की स्थिति में नहीं हैं तो आप भगवान से क्षमा मांगते हुए बैठकर आरती कर सकते हैं. धार्मिक मान्यतानुसार जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान की पूजा और आरती करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और उसको शुभफल प्राप्त होते हैं. 


आरती करने के फायदे
धार्मिक मान्यतानुसार जिस घर में रोजाना नियमित तौर पर भगवान की आरती की जाती है वहां पर कभी भी नेगेटिव एनर्जी का वास नहीं होता है. पूजा के बाद आरती करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है जिससे व्यक्ति के सारे संकटों का नाश हो जाता है. 


आरती की थाली में क्या रखें
आरती की थाली में धूप, फूल, बेल और प्रसाद को रखकर सजाना चाहिए और इसके बाद ही आरती करनी चाहिए. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)