Premature Death meaning : 18 पुराणों में महापुराण माना गया गरुड़ पुराण जीवन-मृत्‍यु के चक्र के बारे में बहुत विस्‍तार से बताता है. इसके अनुसार हर मृत्‍यु का जन्‍म और मृत्‍यु का समय तय है. कई बार मृत्‍यु सामान्‍य होती है, जैसे- वृद्धावस्‍था के कारण मृत्‍यु, लंबी बीमारी के बाद मौत होना आदि. लेकिन कई बार व्‍यक्ति दुर्घटना, बीमारी, आत्‍महत्‍या के कारण अपना जीवन पूरा किए बिना ही इस दुनिया से चला जाता है. ऐसी मृत्‍यु को असमय और अकाल मृत्‍यु कहा जाता है. गरुड़ पुराण में अकाल मृत्‍यु के संकेत, कारण से लेकर इसके बाद होने वाली घटनाओं के बारे में भी बताया गया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह भी पढ़ें: अंदर से कैसा दिखता है काबा? यहां देख लीजिए Photos
 
अलग-अलग है असमय और अकाल मृत्‍यु 


व्‍यक्ति के जीवन को 4 हिस्‍सों में बांटा गया है - शिशु अवस्‍था, किशोर, प्रौढ़ और वृद्धावस्था. लेकिन कई बार विभिन्‍न कारणों के चलते अपने जीवन के दूसरे या तीसरे पड़ाव में ही दुनिया से विदा हो जाते हैं. ऐसी मृत्‍यु को असमय मृत्‍यु कहते हैं. लेकिन जब व्‍यक्ति आत्‍महत्‍या करके खुद मौत को गले लगाए तो उसे अकाल मृत्‍यु कहा जाता है. ऐसे जातक की आत्‍मा मृत्‍यु के बाद मृत्‍युलोक में भटकती रहती है और अपना तय जीवन पूरा करने का इंतजार करती रहती है. यानी कि शरीर त्‍यागने के बाद भी व्‍यक्ति की आत्‍मा इस संसार से नहीं जाती है ना उसे नया शरीर मिलता है. 


सबसे घृणित कार्य है आत्‍महत्‍या 


मृत्‍यु की बात करें तो अकाल मृत्‍यु में आत्महत्या को सबसे ज्यादा घृणित और निंदनीय कृत्य माना गया है. व्‍यक्ति को भगवान द्वारा दिए गए जीवन को पूरा किए बिना मृत्‍युलोक से जाने की कोशिश करना सबसे निंदनीय होता है. 


यदि असमय मृत्यु प्राकृतिक रूप से हो तो ऐसे मृतक की आत्‍मा को कम से कम 3 दिन या फिर अधिकतम 40 दिनों के अंदर दूसरा शरीर प्राप्त हो जाता है. लेकिन आत्महत्या करने वाले लोगों की आत्‍मा पृथ्वी लोक पर ही भटकती रहती है. ऐसे जातक प्रेतात्‍मा बनकर भटकते रहते हैं. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)