Amla Navami Pujan Vidhi: कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का व्रत किया जाता है जिसे अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत को करने से किसी भी व्रत, पूजन, तर्पण आदि का फल अक्षय हो जाता है अर्थात पर कभी समाप्त नहीं होता है. इस दिन गोमाता, पृथ्वी, स्वर्ण, वस्त्र आदि का दान करने से ब्रह्म हत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते हैं. 


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कैसे करें आंवला नवमी की पूजा
इस बार अक्षय नवमी 21 नवंबर मंगलवार को होगी. इस दिन प्रातःकाल जागने के बाद स्नानादि से निवृत्त होकर आंवले के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजन करके पेड़ की जड़ में दूध की धारा गिरा कर तने में चारो तरफ सूत लपेटना चाहिए. इसके बाद कपूर या घी की बाती से आरती करके 108 परिक्रमाएं करना चाहिए. आंवला नवमी के पूजन में जल, रोली, अक्षत, गुड़, बताशा, आंवला और दीपक घर से लेकर ही जाना चाहिए. ब्राह्मण और ब्राह्मणी को भोजन कराकर वस्त्र तथा दक्षिणा आदि दान देकर स्वयं भोजन करना चाहिए. एक बात जरूर ध्यान रखें कि इस दिन के भोजन में आंवला अवश्य ही होना चाहिए. इस दिन आंवले का दान करने का भी विशेष महत्व है.


आंवला नवमी व्रत की कथा
किसी समय में एक साहूकार था. वह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में नवमी के दिन आंवला के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को भोजन कराता और सोने का दान करता था. उसके लड़कों को यह सब करना अच्छा नहीं लगता था क्योंकि उन्हें लगता था कि वह धन लुटा रहे हैं. तंग आकर साहूकार दूसरे गांव में जाकर एक दुकान करने लगा. दुकान के आगे आंवले का पेड़ लगाया और उसे सींच कर बड़ा करने लगा. उसकी दुकान खूब चलने लगी और बेटों का कारोबार बंदी की स्थिति में पहुंच गया. वह सब भागकर अपने पिता के पास पहुंचे और क्षमा मांगी. तो पिता ने उन्हें क्षमा कर आंवले के वृक्ष की पूजा करने का कहा. उनका काम धंधा पहले की तरह चलने लगा.    


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)