Anant dora kab hai : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है. अनंत चतुर्दशी का हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्म में भी बहुत महत्‍व है. अनंत चतुर्दशी के दिन 10 दिवसीय गणेश उत्‍सव का गणेश विसर्जन के साथ समापन होता है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्‍णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. इसके साथ ही दिगंबर जैन समुदाय का पर्यूषण पर्व भी अनंत चतुर्दशी के दिन ही समाप्‍त होता है. अनंत चतुर्दशी के दिन जैन धर्मावलंबी विशेष तौर पर व्रत-उपवास करते हैं. 

 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत और पूजा करने से सुख, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन अनंत धागा या अनंत डोरा बांधा जाता है. इस साल 17 सितंबर 2024, मंगलवार को अनंत चतुर्दशी पर्व मनाया जाएगा. 

 


 

किस्‍मत बदल देता है अनंत धागा 

 

अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्‍णु की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. साथ ही इस दिन अनंत सूत्र की पूजा करके इसे विधिवत धारण करना चाहिए. शुद्ध रेशम या कपास के सूत के धागे को हल्दी में भिगोकर 14 गांठ लगाकर तैयार किया गया अनंत धागा बेहद ताकतवर होता है. इसे पहनने से भगवान विष्‍णु की कृपा से हर काम सफल होता है. यूं कहें कि जातक की किस्‍मत चमक जाती है. ये 14 गांठें भगवान विष्‍णु के 14 नाम का प्रतीक होती हैं. 

 

अनंत धागे की पूजा करने के बाद पुरुष जातक को इसे दाहिने हाथ के बांह पर और महिला को बाएं हाथ की बांह पर बांधना चाहिए. बेहतर होगा कि अनंत चतुर्दशी के व्रत के दिन नमक का सेवन ना करें. यदि व्रत ना करें तो भी नमक के सेवन से बचें. 

 


 

मिलती है बेशुमार सुख-समृद्धि 

 

अनंत सूत्र को धारण करने के कई फायदे हैं. इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. अपार सुख समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. जीवन की सारी बाधाएं, दुख कष्‍ट दूर हो जाते हैं. 

 


 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)