Dhanteras 2024: देश भर में धनतेरस की धूम, जान लें महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त; भगवान धन्वंतरि बरसाएंगे कृपा
Dhanteras 2024 Puja Shubh Muhurta: देशभर में मंगलवार को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा. इसके साथ ही महापर्व दिवाली की धूम शुरू हो जाएगी. आपको धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त जान लेना चाहिए.
Diwali 2024 Puja Shubh Muhurta: देश की राजधानी दिल्ली में भी त्योहारी सीजन का जोरदार उत्साह देखने को मिल रहा है. खासकर धनतेरस के अवसर पर लोग उत्साहित हैं और इस पर्व की तैयारी में जुटे हुए हैं. धनतेरस को लेकर राजधानी के बाजारों में रौनक बढ़ गई है, जहां लोग सोना, चांदी, बर्तन और अन्य सामग्री खरीदने के लिए पहले से ही बुकिंग करवा रहे हैं.
इस वर्ष धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर मंगलवार को मनाया जाएगा. कालकाजी मंदिर के पीठाधीश्वर महंत सुरेन्द्रनाथ अवधूत ने आईएएनएस से कहा कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सोना और चांदी खरीदने से पूरे साल घर में धन की बरकत बनी रहती है.
समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे भगवान धन्वंतरि
इस बार धनतेरस का पर्व मंगलवार 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे और वे अमृत कलश के साथ आए थे. तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि इस दिन आभूषण और बर्तन खरीदने से पूरे साल घर में धन की बरकत रहती है.
धनतेरस 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त
महंत ने बताया कि मंगलवार को द्वादशी तिथि सुबह 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगी, इसके बाद त्रयोदशी तिथि शुरू होगी. इसी कारण मंगलवार को धनतेरस मनाना शुभ है. त्रयोदशी के दिन सोना, चांदी और बर्तन खरीदने की परंपरा है. धनतेरस के दिन संध्या के समय पूजा करना भी विशेष फलदायक होता है. इस दिन शुभ मुहूर्त मंगलवार शाम 7:12 से 8:50 बजे तक रहेगा. महंत ने बताया कि त्रयोदशी का पर्व विशेष रूप से प्रदोष के समय मनाया जाता है, जो सूर्यास्त से दो घड़ी पहले और बाद तक होता है. इस समय धनतेरस का पर्व मनाना अत्यंत शुभ है.
उन्होंने कहा कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन स्वस्थ और निरोग रहने के लिए किया जाता है. धन्वंतरि भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं, इसलिए उनका पूजन करने से आरोग्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है.
दिवाली पर कब करें मां लक्ष्मी का पूजन?
उन्होंने बताया कि दीपावली का पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है. कार्तिक अमावस्या की रात्रि में महालक्ष्मी का अवतरण हुआ था, इसलिए दीपावली इसी दिन मनाई जाती है. 31 अक्टूबर को कार्तिक अमावस्या का शुभारंभ दोपहर बाद 3:53 बजे से होगा और यह अगले दिन 6:16 बजे तक रहेगा. इसी दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण पर विजय प्राप्त की थी और अयोध्या लौटने पर वहां दीपोत्सव मनाया गया था. दीपावली के साथ कई अन्य मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं, जैसे कि जैन मुनि महावीर स्वामी का जन्मदिन और विक्रमादित्य का राज्याभिषेक.
नए बही-खातों की होती है शुरुआत
उन्होंने आगे बताया कि दीपावली का पर्व कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है. विशेष रूप से भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए. इस अवसर पर गणेश और लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. व्यापारी वर्ग इस दिन अपने नए खाता-बही का शुभारंभ करता है. गणेश जी के दो पुत्र, शुभ और लाभ, को अपने खाता-बही पर लिखा जाता है. इस दिन लेखनी और कलम का भी पूजन किया जाता है. इसके बाद दीपमाला का पूजन करके दीपोत्सव का समापन किया जाता है.
(एजेंसी आईएएनएस)