Diya Lighting Significance: जैसे दीपावली का पर्व एक बार फिर हमारे द्वार पर है, दीपों की जगमगाहट से आकाश और पृथ्वी दोनों रोशन हो जाते हैं. आज दीप जलाकर न केवल घर को आलोकित करना है, बल्कि भीतर के अंधकार को भी दूर करना है. भारतीय संस्कृति में दीप प्रज्जवलन को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है. यहां दीपक मात्र रोशनी का साधन नहीं, बल्कि हमारी प्रार्थना को प्रभु तक पहुंचाने का माध्यम भी है. आइए ज्योतिषाचार्य शशिशेखर त्रिपाठी से जानते हैं दीपक जलाने का महत्व और क्या कहते हैं शास्त्


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह भी पढ़ें: दिवाली के बाद कर्मफलदाता शनि होंगे मार्गी, इन 5 राशियों की सोने से चमकेगी किस्मत, खूब मिलेगी तरक्की!


 


दीप ज्योतिः सूर्य ज्योतिः नमस्तुते
प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान का आरंभ दीप प्रज्जवलन से होता है, जिसमें दीपक को ईश्वर और भक्त के बीच संप्रेषण का माध्यम माना गया है. अग्नि देवता के प्रतीक रूप में दीपक, भक्त की संवेदनाओं और इच्छाओं को देवताओं तक पहुंचाता है. ऋग्वेद में वर्णित है, “अग्निदेव! यद्यपि आपका मार्ग धूम्रयुक्त और कठिन है, परंतु जैसे ही आप प्रकट होते हैं, अंधकार स्वतः ही दूर हो जाता है.”



मन का अंधकार और दीपक की महत्ता
मान्यता है कि जीवन का हर अंधकार दीप की रोशनी से मिट सकता है. मन के अंधकार को समाप्त करने के लिए भी दीपक का महत्व है, जो तीनों लोकों—भूमि, अंतरिक्ष और पाताल; प्रातः, मध्याह्न और सायं; बाल्य, युवावस्था और वृद्धावस्था—से जुड़े अंधकार को दूर करने में सहायक है.



घर के हर कोने में उजियारा जरूरी
धार्मिक मान्यता के अनुसार, घर का कोई भी कोना अंधकारमय नहीं रहना चाहिए. न केवल दीपावली के दिन बल्कि प्रतिदिन रात में कुछ समय के लिए पूरे घर में रोशनी करनी चाहिए. कहा गया है कि जहां दीप जलता है, वहां लक्ष्मी का आगमन होता है और उस स्थान का शुद्धिकरण होता है. 



अमावस्या और दीपावली का महत्व
दीपावली का पर्व विशेषकर अंधकार में प्रकाश का पर्व है. इस दिन सूर्य देव अपनी नीच राशि तुला में होते हैं और पृथ्वी पर उनका प्रकाश कम होता है. ऋषियों के अनुसार, इसी समय चंद्रमा और सूर्य का संतुलन बिगड़ने के कारण रात्रि में दीप जलाने की परंपरा प्रारंभ हुई. घोर अमावस्या पर दीप प्रज्ज्वलन से वातावरण का संतुलन बना रहता है और चारों ओर ऊर्जा का प्रवाह होता है. कार्तिक मास को दीप प्रज्ज्वलन का महीना माना गया है, जिसमें हर घर में दीपों की जगमगाहट देखी जाती है.


यह भी पढ़ें: Choti Diwali 2024: छोटी दिवाली आज, जान लें पूजा का शुभ मुहूर्त, तिथि और महत्व


 


दीपक का उचित स्थान और आसन
पूजा स्थल पर दीपक को रखने से पहले उसका आसन ठीक प्रकार से बनाना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, चावल, गोबर या धातु के आसन पर दीपक रखना उचित माना गया है. दूत के रूप में कार्य करने वाले दीपक का सम्मान करना हमारे कर्तव्य का भाग है. ग्रंथों में कहा गया है, “जो देवता तक आपकी प्रार्थना पहुंचाता है, उसका निरादर नहीं करना चाहिए.”


- दीपावली पर हम सभी घरों में दीप जलाकर न केवल भौतिक अंधकार को, बल्कि हमारे मन के भीतर छिपे अंधेरे को भी दूर करने का संकल्प लें.