Diseases Associated with Grah Dosh (ज्‍योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी): सुखी जीवन के लिए धन, सुखी परिवार और अच्छा स्वास्थ्य यह तीनों होना बहुत जरूरी है, जिसके लिए व्यक्ति कई प्रयास भी करता रहता है. दरअसल, असली धन स्वास्थ्य ही है, लेकिन प्रायः लोग मुद्रा को ही धन समझते हैं. अधिकांश लोग अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए संतुलित खानपान, नियमित दिनचर्या  का पालन  तो करते है, इसके बाद भी वह कई तरह की छोटी-मोटी शारीरिक समस्याएं  से घिरे रहते हैं. शरीर में वात, पित्त और कफ का सही संतुलन स्वास्थ्य के लिए जरूरी है. इनका असंतुलन विभिन्न रोगों का कारण बन सकता है. यदि कुंडली में ग्रहों की स्थिति शुभ न होकर अशुभ है या फिर वह नकारात्मक ग्रहों के साथ है तो व्यक्ति को शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है. बिगड़े लाइफस्टाइल, गलत खानपान और खराब ग्रहों से मिलने वाले रोगों को और जल्दी एक्टिवेट कर देते हैं. रोगी होने में ग्रहों की स्थिति का मुख्य योगदान होता है. स्वस्थ रहने के लिए ग्रहों की सकारात्मकता को पाना बहुत जरूरी होता है. चलिए जानते हैं कि कैसे आयुर्वेद और ज्योतिष का संयोजन आपके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है.


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स्वास्थ्य की देखभाल में सहायक हैं ग्रह


ग्रहों की बात की जाए तो यह हमारे जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं और इनका संबंध जीवन के सभी पहलू से खास कनेक्शन रखता है. जन्मकुंडली की सहायता से यह समझा सकता है कि किसी व्यक्ति को जीवन में कौन-कौन से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं और वह किस तरह से अपने आप को सुरक्षित रख सकता है. आइए जानते है ग्रहों और शरीर के अंगों को कनेक्शन.
                  
सूर्य - अगर हड्डियों से संबंधित रोग आपको परेशान करता है, आंखों और पित्त की समस्या बनी रहती है. यदि इस तरह के रोग आपको निरंतर परेशान कर रहे हैं, तो स्पष्ट रूप से यह मान लीजिए कि आपकी कुंडली में कहीं सूर्य भगवान नाराज है.


चंद्रमा - मन बहुत उदास रहता है, डिप्रेशन और रक्तचाप की समस्या है यानी बीपी घटता और बढ़ता रहता है और शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की कमी  और  कफ और वात की समस्या बनी रहती है तो इसका अर्थ चंद्रमा का नकारात्मक प्रभाव मिल रहा है या आपकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर है.


मंगल -  अगर मसल्स, सिर और ब्रेन से संबंधित कोई दिक्कत, पित्त असंतुलन और खून से संबंधित कोई समस्या आ रही है जैसे कि बार-बार ब्लड इन्फेक्शन होना आदि तो यह मंगल की नाराजगी या कमजोर होने के संकेत है.


बुध - अगर शरीर में नसों का जाल दिक्कत दे रहा है यानी कि तंत्रिका तंत्र में कोई समस्या है और खास तौर पर त्वचा संबंधित रोग बहुत परेशान कर रहे हैं, तो बुध की स्थिति ठीक नहीं है. बुध जब अपना अशुभ प्रभाव देना शुरु करते हैं तो व्यक्ति को तंत्रिका तंत्र और त्वचा से जुड़े रोग होने की आशंका रहती है.


बृहस्पति - लीवर से संबंधित दिक्कतों का होना, लीवर का फैटी स्टेज में चले जाना, थायराइड, कफ समस्या जैसी दिक्कत होना या फिर वजन अधिक हो जाना यह सब देवगुरु बृहस्पति के कारण होता है.


शुक्र - अगर शरीर की आभा कमजोर हो रही है, संतान प्राप्ति में दिक्कत हो शुक्राणुओं में दुर्बलता आ गई हो और साथ ही आंखों के विजन की समस्या तो यह शुक्र ग्रह के कुपित होने के संकेत है.


शनि - शरीर में अगर बहुत पीड़ा रहती है, किसी भी रोग में दर्द अधिक रहता हो, नाड़ियों में  दिक्कत और वात दोष तो यह शनि देव की नाराजगी को दर्शाता है.


राहु - राहु की नाराजगी के कारण या उनके कुप्रभाव के कारण इन्फेक्शन की स्थिति बनी रहती हैं. बार-बार यूरिन इन्फेक्शन होने जैसी दिक्कतें राहु के द्वारा ही प्राप्त होती है और यही नहीं कैंसर जैसे घातक रोग भी राहु देने में सक्षम  है.


केतु - केतु का संबंध आंतरिक ऊर्जा से है,  अंदर से मन व्यथित हो जाता है किसी भी चीज के प्रति वह बहुत अधिक फोकस हो सकता है. जिसके कारण कोई रोग पैदा हो जाते हैं.