Makar Sankranti 2025: नए साल का पहला पर्व `मकर संक्रांति`, इस दिन ये 6 कार्य करना न भूलें; होगी असीम पुण्य फलों की प्राप्ति
Makar Sankranti 2025 Significance (पंडित शशिशेखर त्रिपाठी): मकर संक्रांति का सनातन धर्म में बहुत महत्व माना जाता है. इस दिन सूर्य देव उत्तरायण से दक्षिणायन होते हैं. इस दिन खास विधि से पूजा पाठ और सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है.
What to do on Makar Sankranti 2025: जनवरी का महीना न केवल नए साल की शुरुआत का प्रतीक है बल्कि यह भारतीय संस्कृति के एक अद्भुत पर्व मकर संक्रांति को भी अपने साथ लेकर आता है. यह पर्व खगोलीय घटनाओं आध्यात्मिकता और परंपराओं का संगम है, जो न केवल भारत में बल्कि विश्व के कई हिस्सों में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है. इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी मंगलवार को मनाई जाएगी. मकर संक्रांति सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश की घटना को चिह्नित करती है. यह खगोलीय परिवर्तन केवल वैज्ञानिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.
भीष्म पितामह की मृत्यु का मकर संक्रांति का कनेक्शन
महाभारत की कथा में मकर संक्रांति का विशेष आध्यात्मिक महत्व दिखाई देता है. भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश का इंतजार करते रहे. उनकी यह प्रतीक्षा इसलिए थी क्योंकि उत्तरायण को मोक्ष प्राप्ति का समय माना गया है. शास्त्रों में वर्णित है कि जो व्यक्ति सूर्य के उत्तरायण में प्राण त्यागता है उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त होती है. वहीं दक्षिणायन में मृत्यु पुनर्जन्म के चक्र में बांध देती है.
मकर संक्रांति और उत्तरायण का महत्व
मकर संक्रांति का दिन सूर्य की खगोलीय स्थिति में बदलाव का सूचक है. जब सूर्य मकर रेखा को पार कर उत्तरी कर्क रेखा की ओर बढ़ता है तो इसे उत्तरायण कहते हैं. यह समय दिन के लंबे और रात के छोटे होने की शुरुआत करता है. वैदिक परंपराओं में सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात माना गया है. इसे देवयान और पितृयान भी कहते हैं. उत्तरायण का समय शुभ कार्यों के लिए आदर्श माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में किए गए दान तप और साधना का कई गुना पुण्य प्राप्त होता है.
मकर संक्रांति पर क्या करें?
मकर संक्रांति के दिन कुछ विशेष कार्य करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं. शास्त्रों में इन कार्यों को विशेष पुण्यकारी बताया गया है:
पवित्र स्नान: इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है. अगर यह संभव न हो तो घर पर ही स्नान के पानी में तिल डालकर स्नान करें.
सूर्य अर्घ्य: तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल और तिल मिलाएं और सूर्य देव को अर्घ्य दें.
तिल-गुड़ का दान: इस दिन तिल और गुड़ का सेवन और दान करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है. यह दान कड़वाहट को मिठास में बदलने का प्रतीक है.
खिचड़ी का भोग: सूर्य देव को खिचड़ी और तिल-गुड़ का प्रसाद चढ़ाएं और उसे लोगों के बीच बांटे.
मंत्र जाप: "ॐ सूर्याय नमः" या "ॐ नमो भगवते सूर्याय" मंत्र का जाप करें.
दान: जरूरतमंदों को भोजन वस्त्र और धन का दान करें. यह दिन परोपकार के लिए आदर्श माना गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)