Rasoi Ghar: रसोई की साज-सज्जा और रंग का घर की संपन्नता पर पड़ता है प्रभाव; जान लें किचन को मां अन्नपूर्णा का वास बनाने के ये अहम उपाय
Rasoi Ghar ke Vastu Niyam: रसोई घर को मां अन्नपूर्णा का स्थान माना जाता है. वहीं से आपके पूरे परिवार का भरण-पोषण होता है. ऐसे में यह ध्यान रखना जरूरी होता है कि उस रसोई का निर्माण वास्तु नियमों के हिसाब से हो. पंडित शशिशेखर त्रिपाठी से जानिए रसोई से जुड़े ये नियम.
Rasoi Ghar ka Design Kaisa Hona Chahiye: रसोई घर एक ऐसा स्थान है, जो न केवल खाने की व्यवस्था करता है, बल्कि पूरे परिवार के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है. यह घर का वो हिस्सा है, जो सिर्फ महिला की कार्यक्षमता से नहीं, बल्कि पूरे परिवार की मानसिकता और स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है. रसोई के वातावरण में न केवल शारीरिक पोषण का तत्व होता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक उन्नति का भी संचार होता है इसलिए रसोई की साज-सज्जा और वास्तु का भी उतना ही महत्व है, जितना भोजन के चयन का.
रसोई में प्रवेश और हवा का महत्व
रसोई घर में अधिक से अधिक प्राकृतिक धूप और हवा का आना अत्यंत महत्वपूर्ण है. रसोई की खिड़कियों से ताजगी और रोशनी आनी चाहिए, जिससे यहां का वातावरण सकारात्मक बने. अव्यवस्था से बचने के लिए रसोई में सामान कम रखना चाहिए, ताकि वहां खुलापन और शांति बनी रहे. यदि संभव हो, तो दीवारों पर बड़े दर्पण का उपयोग करने से रसोई को बड़ा और खुला हुआ महसूस कराया जा सकता है.
रसोई का फर्नीचर: आकार और सामग्री का ध्यान रखें
रसोई के फर्नीचर का आकार भी इसकी ऊर्जा को प्रभावित करता है. गोलाकार फर्नीचर से बचकर वर्गाकार या आयताकार फर्नीचर का चयन करें. लकड़ी का फर्नीचर रसोई के वातावरण में ठंडक तो लाता है, लेकिन यह पारिवारिक भावनाओं को प्रभावित कर सकता है, जिससे रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है. बेहतर होगा कि लकड़ी के फर्नीचर में धातु के हत्थे या अन्य धातु के उपकरणों का उपयोग किया जाए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सके.
क्रिस्टल और पौधों का उपयोग
रसोई में क्रिस्टल वॉल का प्रयोग बहुत लाभकारी साबित हो सकता है, क्योंकि यह ऊर्जा को शुद्ध करता है और रचनात्मकता को बढ़ाता है. इसके अलावा, रसोई में हरे पौधों का होना एक अच्छा विकल्प है. गमलों में जड़ी-बूटियां जैसे तुलसी, पुदीना, या धनिया उगाना न केवल रसोई को सुंदर बनाता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी रहता है.
रसोई का सही दिशा निर्धारण
रसोई का प्रवेश द्वार दक्षिण-पश्चिम में नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह पारिवारिक सुख में विघ्न डालता है. रसोई का प्रवेश मुख्य दरवाजे से कुछ हद तक अलग रखना चाहिए और दरवाजों को अवरुद्ध न होने दें, ताकि रसोई में काम करने वाला व्यक्ति बिना किसी विघ्न के स्वतंत्र रूप से काम कर सके.
दीवारों का रंग और प्लेटफार्म की दिशा
रसोई की दीवारों का रंग हल्का होना चाहिए, जैसे हल्का गुलाबी, पीला या पिस्ता हरा, क्योंकि ये रंग मानसिक शांति और ताजगी प्रदान करते हैं. रसोई का प्लेटफार्म पूर्व दिशा में होना सबसे अच्छा माना जाता है, जिससे सूर्य की किरणें पूरे दिन रसोई में रहती है, जो भोजन पकाने के समय सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं.
रसोई से संबंधित नकारात्मक प्रभाव
कुछ स्थितियां रसोई में विशेष रूप से अनुकूल नहीं मानी जाती, जो पारिवारिक जीवन में तनाव और कष्ट का कारण बन सकती हैं. जैसे कि भवन के प्रवेश द्वार से सटी हुई रसोई अतिथि आगमन में वृद्धि कर सकती है, जबकि रसोई में पूजा करना या स्नान करना स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए हानिकारक होता है. यदि रसोई का प्रवेश द्वार मुख्य द्वार के ठीक सामने हो तो यह परिवार में असहमति और मानसिक तनाव का कारण बनता है. शयनकक्ष का दरवाजा यदि रसोई के सामने हो, तो यह दाम्पत्य जीवन में कड़वाहट और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है.
रसोई में कुआं या बोरिंग का प्रभाव
रसोई में कुआं या बोरिंग होना परिवार में मतभेदों को बढ़ा सकता है, जिससे गृहस्थ जीवन में असंतुलन और दुख उत्पन्न होता है. ऐसे घरों में पारिवारिक सदस्य एक-दूसरे से दूर रहते हैं और घर के पुरुष सदस्य घर से बाहर भी रह सकते हैं.
इन सभी तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि रसोई घर का डिजाइन और उसका वातावरण न केवल घर की भलाई के लिए, बल्कि परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसलिए रसोई की साज-सज्जा में वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना आवश्यक है, ताकि यह स्थान हर दिन नई ऊर्जा और सकारात्मकता से भरा रहे.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)