Dusra Bada Mangal: हनुमान जी आज भी जीवित हैं पर रहते कहां हैं? बड़ा मंगल पर जानें ये रोचक रहस्य
Hanuman Ji: 4 जून को दूसरा बड़ा मंगल है, इसे बुढ़वा मंगल भी कहते हैं. बड़ा मंगल का दिन भगवान हनुमान की आराधना के लिए विशेष होता है. जानिए आज भी जाग्रत देवता माने गए बजरंगबली कहां रहते हैं.
Budhwa Mangal 2024: ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहते हैं. 4 जून यानी कि कल मंगलवार को दूसरा बड़ा मंगल है. इस दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है. ज्येष्ठ मास के मंगलवार में ही हनुमान जी ने वृद्ध वानर का रूप लेकर महाबली भीम का घमंड तोड़ा था. जगह-जगह भंडारे होते हैं. बजरंगबली के मंदिरों में भारी भीड़ रहती है. विशेषतौर पर उत्तर प्रदेश के लखनऊ और कानपुर में बड़ा मंगल पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता है कि ज्येष्ठ मास के मंगलवार के दिन दुआ मांगने से ही यहां के नवाब का बीमा बेटा ठीक हुआ था. तब से ही यहां बड़ा मंगल पर जगह-जगह भंडारे और भजन-कीर्तन होते हैं. हनुमान जी को कलियुग का जाग्रत देवता माना गया है. धर्म-शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी को कलियुग में भी धरती पर रहने का वरदान मिला था, मान्यता है कि आज भी हनुमान जी धरती पर हैं.
गंधमादन पर्वत पर रहते हैं हनुमान जी
त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम ने अपने परमभक्त हनुमान को चिरंजीवी रहने का वरदान दिया था. साथ ही कहा था कि मैं द्वापर युग में तुमसे मिलूंगा. लिहाजा द्वावर युग में प्रभु श्रीराम ने जब भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया तो वे महाभारत युद्ध के समय हनुमान जी से मिले थे. महाभारत युद्ध में जब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के सारथी बने तो हनुमान जी भी उस रथ पर थे और रथ की रक्षा कर रहे थे. वे अर्जुन के रथ की ध्वजा में विराजमान थे.
इसके बाद कलियुग में भी हनुमान जी धरती पर हैं. श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार हनुमानजी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं. हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर रहते हुए प्रभु राम की पूजा-आराधना करते हैं.
कहां है गंधमादन पर्वत?
मान्यता है कि हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में गंधमादन पर्वत स्थित है और दक्षिण दिशा में केदार पर्वत है. सुमेरू पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को प्राचीन काल में गंधमादन पर्वत कहा जाता था. आज यह क्षेत्र तिब्बत में आता है. यहां पहुंचने के 3 रास्ते हैं पहला नेपाल के रास्ते मानसरोवर से आगे जाना और दूसरा भूटान की पहाड़ियों से आगे और तीसरा अरुणाचल के रास्ते चीन होते हुए इस जगह पर पहुंचा जा सकता है.
(Dislaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)