Bageshwar Baba Statement on Shirdi Sai Baba: शिरडी के साईं बाबा क्या कोई देवता थे? क्या मंदिरों में उन्हें भी देवी-देवताओं के बराबर में स्थान देकर पूजा जा सकता है. यह सवाल एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है. इस बार यह सवाल बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने उठाया है. बागेश्वर बाबा (Bageshwar Baba) ने शिरडी साईं बाबा को सनातन देवता के बजाय एक फकीर बाबा कहा है. इसके बाद साईं के समर्थकों ने विरोध शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र बीजेपी के नेता और प्रदेश के राजस्व मंत्री (Revenue Minister) राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी साईं (Shirdi Sai Baba) को फकीर बाबा पुकारे जाने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से बागेश्वर बाबा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है. 


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मंत्री ने की बाबा के खिलाफ कार्रवाई की मांग


मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा, 'बागेश्वर बाबा (Bageshwar Baba) लोगों को गुमराह कर रहे हैं लेकिन हम अपने किसी भी संत के खिलाफ कुछ भी नहीं सुनेंगे. हम सरकार को कहेंगे कि वह बागेश्वर बाबा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करे.' शिरडी (Shirdi Sai Baba) में बागेश्वर बाबा के खिलाफ प्रदर्शन भी किया गया. उधर शिरडी में साईं बाबा के समर्थकों ने बागेश्वर बाबा के फोटो जलाए और उनके खिलाफ एक्शन की मांग की. 


क्या कहा था बागेश्वर बाबा ने?


बागेश्वर बाबा (Bageshwar Baba) के नाम से चर्चित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जबलपुर में शैलेंद्र राजपूत नाम के शख्स ने उनसे साईं बाबा की पूजा को लेकर सवाल किया था. इस सवाल का जवाब देते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, 'हमारे धर्म के शंकराचार्य जी ने साईं बाबा (Shirdi Sai Baba) को देवता का स्थान नहीं दिया है. शंकराचार्य हिन्दू धर्म के प्रधान मंत्री हैं. इसलिए उनकी आज्ञा का पालन करना प्रत्येक सनातनी का कर्तव्य है. हमारे धर्म का कोई भी संत, चाहे वह गोस्वामी तुलसीदास जी हों या सूरदास जी, वे सब संत- महापुरुष और युग पुरुष हैं लेकिन वे भी भगवान नहीं हैं. फिर साईं बाबा को भगवान कैसे माना जा सकता है. उन्होंने कहा कि मंदिरों में उनकी मूर्ति स्थापित करना बिल्कुल भी सही नहीं है. यह शास्त्रों और सनातन परंपरा के खिलाफ है. यह सब बंद होना चाहिए. 


क्या साईं बाबा वाकई भगवान थे?


बताते चलें कि शिरडी साईं बाबा के अस्तित्व को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है. उनके समर्थक योजनाबद्ध तरीके से उन्हें भगवान विष्णु का अवतार बताकर प्रचारित करते रहे हैं. देशभर में कई जगह साईं बाबा (Shirdi Sai Baba) के मंदिर भी बनाए गए हैं, जिनमें साईं बाबा की मूर्ति को बड़े आकार में स्थापित किया गया है. जबकि बाकी देवी-देवताओं को छोटे आकार की मूर्तियों में उनके अगल-बगल स्थान दिया गया है. इन साईं मंदिरों में हर गुरुवार को भंडारे की व्यवस्था होती है और लाखों रुपये का चढ़ावा चढ़ता है.  


धार्मिक विद्वान जताते रहे हैं आपत्ति


धार्मिक विद्वान इसे समाज में घुसी एक कुरीति करार देकर लंबे समय से विरोध करते रहे हैं. विद्वानों का कहना है कि धरती पर जन्म लेने वाले किसी भी व्यक्ति की प्रतिमा देवी-देवता के बगल में रखकर पूजी नहीं जा सकती. यह अधिकार केवल देवी-देवताओं का है. अगर भगवान के अंश के रूप में जन्म मानव को भी उनके बराबर बिठा दिया जाए तो ईश्वर और मानव में क्या अंतर रह जाएगा. अब इस मुद्दे को उठाकर बागेश्वर बाबा (Bageshwar Baba) ने फिर से उभार दिया है. अब देखना है कि साईं समर्थकों की लॉबी इस पर आगे क्या कदम उठाएगी. 


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