Bhaiya Dooj 2022 Significance: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में द्वितीया के दिन मनाए जाने वाले भैया दूज के साथ ही पंचदिवसीय दीपावली पर्व की पूर्णता होती है. इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर टीका कराने के साथ ही उन्हें भेंट देने के साथ ही उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं, बहनें भी भाई की मंगल कामना कर अपने को धन्य मानती हैं. भारत के उत्तर और मध्य क्षेत्र में तो इसे भैया दूज या भाई दौज कहा जाता है, किंतु पूर्वी भारत में इसे भाई-कोटा, पश्चिम में भाईबीज और भाऊबीज भी कहा जाता है.


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यह है भाई दूज की कहानी


सूर्य देव की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से ही यमराज और यमुना का जन्म हुआ. यमराज और यमुना में जन्म के समय से बहुत प्रेम था. बड़े होने पर यमुना अपने भाई से बराबर निवेदन करती थीं कि भैया कभी अपने मित्रों के साथ मेरे घर आकर भोजन करें. कार्यों की व्यस्तता के चलते यमराज उनके आग्रह को टालते रहे. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में यमुना ने फिर से निवेदन किया और द्वितीया के दिन आने का वचन ले लिया. बाद में यमराज ने विचार किया कि मैं तो लोगों के प्राण हरता हूं, इसलिए कोई मुझे नहीं बुलाता है, किंतु मेरी प्यारी बहन ने आग्रह किया है तो मुझे उसके घर जाना चाहिए.


यम की करें उपासना


प्लान के मुताबिक यमराज जब अपने बहन के घर चलने को हुए तो उन्हें नरक के सभी जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को देख बहन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने घर आए भाई का टीका पूजन किया और फिर पूरे सम्मान से अपने हाथों से बनाया स्वादिष्ट भोजन कराया. भाई ने प्रसन्न होकर अपनी बहन से वर मांगने को कहा तो यमुना ने कहा, हे भाई, आप प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीय को मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो भी बहन अपने भाई का सत्कार कर टीका करे, उसे तुम्हारा भय नहीं रहना चाहिए. यमराज ने अपनी बहन यमुना को तथास्तु कह कर बहुत सारी भेंट दी और अपने लोक को चले गए, तभी से इस दिन बहन के घर जाकर भाइयों द्वारा टीका कराने की परंपरा चल रही है. इस दिन सभी लोगों को यम की उपासना कर घर के दक्षिण दिशा में दीप जलाना चाहिए. 


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