Bhajan Kirtan Mein Taali: आपने कई बार देखा होगा कि हम जब कीर्तन भजन में होते हैं तो अपने आप हम तालियां बजाने लगते हैं. या फिर पसंदीदा गीत बजता है तो भी हमारे हाथ तालियों के लिए उठ जाते हैं. आखिर क्यों तालियां बजाते हैं और इसके क्या फायदे हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसके कई कारण हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसके पौराणिक परंपरा का जिक्र किया गया है. 


ताली की शुरुआत


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असल में बताया जाता है कि इस परंपरा की शुरुआत प्रहलाद ने उस समय की थी जब उनके पिता हिरण्यकश्यप ने उनके सारे वाद्य यंत्रों को नष्ट कर दिया था ताकि वे विष्णु की आराधना ना कर सकें. इसके बा प्रहलाद ने भगवान विष्णु के भजनों को ताल देने के लिए हाथ से ताली बजाना शुरू कर दिया था, यहीं से ताली की शुरुआत हो गई.


ताली बजाने से पापों का नाश?


दूसरी बात यह बताई जाती है कि कीर्तन के दौरान ताली बजाकर भगवान को व्यक्ति के कष्टों को सुनने के लिए पुकारा जाता है. ऐसा करने से भगवान का ध्यान आकर्षित होता है. साथ ही भजन-कीर्तन या आरती के दौरान ताली बजाने से पापों का नाश होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. इसके साथ-साथ एक अन्य मान्यता यह भी है कि प्राचीन काल में लोगों के पास वाद्य यंत्र नहीं होते थे, ऐसे में वे भजन-कीर्तन में ताल देने के लिए ताली बजाते थे.


इसका नाम ताली कैसे पड़ा. तो दोनों हथेलियों को लगातार पीटने से एक ताल का निर्माण हुआ और वह ताल की धुन लोगों को सुनाई देने लगी, इसी वजह से इसका नाम ताली पड़ गया. वहीं अगर ताली बजाने के वैज्ञानिक कारण पर जाएं तो एक्सपर्ट्स का कहना है कि ताली बजाने से हथेलियों के एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स पर दबाव पड़ा है, इससे हृदय, फेफड़ों के रोगों में लाभ मिलता है.


कई तरह के रोग दूर होते हैं


ताली बजाने से ब्लड प्रेशर भी सही रहता है. ताली बजाना एक तरह का योग भी माना जाता है. ऐसा करने से कई तरह के रोग दूर होते हैं. फिलहाल ताली बजाने के कई कारणों में से यह ऐसे कुछ प्रमुख कारण हैं जो काफी फेमस हैं. यह बात सही है कि ताली बजाने से मन को काफी आराम मिलता है और आप गीत संगीत के समारोह में खुद को शामिल कर लते हैं साथ ही वहां ताल में ताल मिला देते हैं.