Shri Ram did Pooja of Maa Durga: अयोध्या नरेश दशरथ जी की आज्ञा से श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास में थे, तभी रावण ने छल से सीता जी का हरण कर लिया और उनके वियोग में श्रीराम विलाप कर रहे थे, तभी महर्षि नारद आकाश मार्ग से वहां आए. महर्षि को उचित आसन देने के बाद उनके सामने ही श्रीराम हाथ जोड़कर अपने भाई के साथ बैठ गए.


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इसके बाद नारद मुनि ने उनसे कहा, हे राघव! आप सामान्य जनों की तरह दुखी न हों. रावण के वध के लिए ही आपका अवतार हुआ है और इसलिए उसने सीता का हरण किया है. उन्होंने कहा कि सीता जी लक्ष्मी माता का अंश हैं. वे सदा धर्म में तत्पर रहने वाली साध्वी हैं, जो किसी के वश में नहीं हो सकती हैं. उनका मन तो हरण होने के बाद भी आपके ध्यान में ही रहता है. उनके पीने के लिए स्वयं देवराज इंद्र एक पात्र में कामधेनु का दूध भेजते हैं, जिसे पीने के बाद सीता जी को भूख और प्यास नहीं लगती है, ऐसा मैंने स्वयं देखा है.  


इतना कहते हुए उन्होंने कहा कि हे दशरथ नंदन राम! अब आप सीता के बहुत व्याकुल होने की बजाय वही करें, जिसके लिए आपने अवतार लिया है और सभी देवता उस पल की प्रतीक्षा कर रहे हैं. नारद जी ने कहा कि अब मैं आपको वह उपाय बताता हूं, जिसको करने से आप अति बलशाली रावण का वध कर सकेंगे. संयोग से जिस समय नारद जी उनके सामने उपस्थित हुए, तब आश्विन मास चल रहा था. इस आधार पर नारद जी ने कहा, ‘ हे राघव! इस आश्विन महीने में तुम श्रद्धापूर्वक नवरात्रि का अनुष्ठान करने में लग जाओ. नवरात्रि के महात्म्य के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि हे राम! नवरात्रि में उपवास, भगवती की आराधना तथा जप और होम सम्पूर्ण सिद्धियों वाला है. बहुत पहले ब्रह्मा, विष्णु, महेश और देवराज इंद्र तक इस अनुष्ठान को कर चुके हैं. किसी कठिन परिस्थिति में पड़ने पर मनुष्य को यह व्रत अवश्य करना चाहिए.


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