Chanakya Niti For House: आचार्य चाणक्य नीति में कुछ ऐसे घरों के बारे बताया गया है जहां पर कभी भी खुशहाली नहीं आती है. इतना ही नहीं ऐसे घरों में कभी भी सकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता. दरअसल आचार्य चाणक्य ने ऐसे घरों को शमशान के समान माना है साथ ही वहां रहने वाले लोगों को मुर्दों की गिनती में गिना है. चाणक्य नीति के अनुसार आइए विस्तार में जानते हैं कि आखिर कौन-कौन से घरों को श्मशान के समान माना गया है और इसके कारण क्या क्या हैं!


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ऐसे घर शमशान की गिनती में हैं आते


चाणक्य नीति की मानें तो कुछ ऐसे घर हैं जहां पर कुछ सकारात्मक क्रिया या कार्य नहीं होते हैं जिस वजह से वहां पर कभी भी सकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता. इतना ही नहीं ऐसे घरों में कभी भी खुशहाली भी नहीं आती है. बतादें कि चाणक्य नीति में ये कहा गया है कि जो घर ब्राहमणों के पांव के धोए हुए जल से कीचड़ ना हुआ है वह घर नहीं शमशान कहलाता है.


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जिन घरों में इन शब्दों का नहीं होता उच्चारण


चाणक्य नीति के अनुसार जिन घरों में स्वाहा और स्वधा शब्द का उच्चारण ना हुआ हो वह घर शमशान के समान होता है.


शुभ कर्म जहां नहीं होता है


चाणक्य नीति के अनुसार जिन घरों में शुभ कर्म या वेद आदि शास्त्रों का पाठ ना हुआ हो तो ऐसे घर भी शमशान के समान माने जाते हैं.


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ऐसी जगहों को कहते हैं घर


आचार्य चाणक्य नीति के अनुसार जिन घरों में पूजा अर्चना होती हो, शास्त्रों के मंत्र गुंजते हो तो ऐसे घर में हमेशा ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. ऐसे ही जगह को घर कहा जाता है. साथ ही ऐसे ही घरों के सदस्यों में खुशहाली बनी रहती है और हर कार्य में सफलता मिलती है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)