Chanakya Niti Success Tips: दुनिया के महान अर्थशास्‍त्री, राजनीतिज्ञ, कूटनीतिज्ञ और मार्गदर्शन आचार्य चाणक्‍य ने अपने नीति शास्‍त्र चाणक्‍य नीति में सफल होने के तरीके बताए हैं. चाणक्‍य नीति में बताया गया है कि सफल होने के लिए व्‍यक्ति को क्‍या करना चाहिए और किन चीजों से दूरी बनानी चाहिए. गलत आदतों, गलत लोगों का साथ सफलता की ओर तेजी से कदम बढ़ाते व्‍यक्ति को भी पीछे खींच देते हैं और उसे कामयाब होने से रोक देते हैं. इसलिए इनसे दूर रहने में ही भलाई है. 


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काटनी पड़ती है दूसरों के पाप की सजा 


चाणक्‍य नीति में आचार्य चाणक्‍य ने एक श्‍लोक लिखा है- 
'राजा राष्ट्रकृतं पापं राज्ञः पापं पुरोहितः । 
भर्ता च स्त्रीकृतं पापं शिष्यपापं गुरुस्तथा।।।'


इस श्‍लोक में कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताया है, जिन्‍हें बिना गलती किए दूसरों के पाप की सजा भुगतनी पड़ती है. ये लोग राजा-प्रजा, गुरु-शिष्य और पति-पत्नी हैं. इस श्‍लोक के जरिए आचार्य चाणक्‍य बता रहे हैं कि व्‍यक्ति जो गलत या बुरे कर्म करता है, उसे उसका खामियाजा तो भुगतना ही पड़ता है लेकिन कई बार उसे दूसरों के बुरे कर्मों की सजा भी भुगतनी पड़ती है. 


राजा-प्रजा: चाणक्य नीति के अनुसार यदि देश का शासक कोई गलत काम करता है तो उसके परिणाम देश की पूरी जनता को भुगतने पड़ते हैं. इसलिए शासक का सही होना बहुत जरूरी है. यदि शासक दुष्‍ट, अत्‍याचारी हो तो ऐसा देश छोड़ देने में ही भलाई है. इसी तरह किसी उच्‍च पदस्‍थ दुर्जन व्‍यक्ति से संबंध ना बनाएं, वह आपको कभी भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. 


गुरु-शिष्‍य: गुरु का काम है शिष्‍य को राह दिखाना. यदि गुरु ही सही ना हो या उसका आचरण-कर्म उचित ना हों तो ऐसे गुरु से दूरी बना लेना ही बेहतर है. लिहाजा गुरु का चुनाव सोच-समझकर ही करें. 


पति-पत्नी: पति-पत्‍नी एक ही रथ के 2 पहिए कहे जाते हैं. लेकिन इन दोनों में से एक दुष्‍ट, अनुचित आचरण करने वाला, धोखेबाज हो तो दूसरे को उससे रिश्‍ता खत्‍म कर देना चाहिए. क्‍योंकि ऐसे जीवनसाथी के साथ जीना नरक जैसा जीवन बिताने जैसा है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)