Chhath Puja 2024: छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. आज शाम डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा. इस दिन वर्ती जल में खड़े होकर शाम के समय सूर्य की आराधना करते हैं. इस दौरान परिवार और पड़ोसियों के सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. व्रती बांस के या पीतल के सूप से भगवान आदित्य देव की आराधना करते हैं. इस दौरान जल में खड़े होकर सूर्य भगवान का आचमन भी किया जाता है.


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सूप में होते हैं कई तरह के फल


जिस वक्त आराधना की जाती है उस समय व्रती के सूप में कई तरफ के फल होते हैं इसके अलावा मूली, अदरख, कच्ची हल्दी से भी सूर्य देव की आराधना की जाती है. इस दौरान उनके आचमन के लिए वर्ती के परिवार की ओर से जल चढ़ाया जाता है. व्रती लोग सूर्य की प्रदक्षिणा करते हैं. जिसके बाद व्रती जल से बाहर निकल जाती है और फिर सूर्य देव को अर्पित करते हुए हवन करती है.


रुद्राक्ष का प्रयोग करते हैं या नहीं


लेकिन, क्या आपको पता है कि सूर्य की आराधना में रुद्राक्ष का प्रयोग होता है या नहीं? जी हां सूर्य की आराधना में रुद्राक्ष का प्रयोग नहीं किया जाता है. अभी तक जो परंपरा चलती आ रही है उसके मुताबिक कभी भी सूर्य देव के लिए पूजा में रुद्राक्ष का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव का आहारा है. ऐसे में शिव के आहर को सूर्य देव को नहीं भेंट किया जाता है.


शुद्धता के साथ ग्रहण करें प्रसाद


जानकारी के लिए बता दें कि सूर्य की आराधना एक लोटा जल, पुष्प और कई तरह के फलों से की जाती है. इसके अलावा गेंहूं के आंटे से घी में बना हुआ ठेंकुआ का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं प्रसाद चढ़ाने के लिए सुथनी और मूली का भी प्रयोग होता है. छठ का प्रसाद ग्रहण करने वाले लोगों से आशा की जाती है कि वह शुद्धता के साथ इस प्रसाद को ग्रहण करें.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)