Chitrakoot Unique Matgajendra Temple: भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट स्थित मत्यगजेंद्र मंदिर में इन दिनों भक्तों का जमावड़ा लगा हुआ है. यूं तो इस प्रसिद्ध मंदिर में साल भर भक्त आते रहते हैं, लेकिन सावन (Sawan) में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है. भक्त आसपास की पवित्र नदियों और निकट बह रही मंदाकिनी नदी (Mandakini River) के जल से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं. सोमवार को विशेष पूजन के लिए तड़के से ही लोग मंदिर प्रांगण में जुट जाते हैं.


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भगवान शिव के स्वरूप हैं मत्यगजेंद्र


ये मंदिर पवित्र मंदाकिनी नदी के किनारे रामघाट पर स्थित है. भगवान शिव के स्वरूप मत्यगजेंद्र को चित्रकूट का क्षेत्रपाल कहा जाता है, इसलिए बिना इनके दर्शन के चित्रकूट की यात्रा फलित नहीं होती है. मत्यगजेंद्र का अपभ्रंश के कारण मत्तगजेंद्र नाम भी प्रचलित है.


लक्ष्मण के सामने दिगंबर रूप में हुए प्रकट


त्रेता काल में भगवान श्रीराम, माता जानकी और भाई लक्ष्मण के साथ जब वनवास काटने चित्रकूट आए तो उन्होंने क्षेत्रपाल मत्यगजेंद्र से आज्ञा लेना उचित समझा. स्थानीय संत ऋषि केशवानंद जी कहते हैं कि श्रीराम ने लक्ष्मण को     मत्यगजेंद्र नाथजी से निवास की आज्ञा के लिए आगे भेजा, जहां लक्ष्मण के सामने वो दिगंबर स्वरूप में प्रकट हुए.


भगवान राम और लक्ष्मण ने मत्यगजेंद्र की सीख का किया पालन


मत्यगजेंद्र एक हाथ गुप्तांग और दूसरा हाथ मुख पर रखकर नृत्य करने लगे. ये देखकर लक्ष्मण ने श्रीराम से इसका अर्थ पूछा. श्रीराम ने इसका अर्थ बताया कि ब्रह्मचर्य पालन करने और वाणी पर संयम रखने के संकेत है. दोनों भाइयों ने पूरे वनवास काल में मत्यगजेंद्र की दी गई सीख का पालन किया और 14 में से साढ़े 11 वर्ष चित्रकूट में ही रहे.


शिवपुराण में मंदिर का है उल्लेख


ये मंदिर बहुत ही प्राचीन है. मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं ब्रह्मा ने की है. शिवपुराण में भी इसका उल्लेख है. 


                            
नायविंत समोदेशी नब्रम्ह सद्दशी पूरी।
यज्ञवेदी स्थितातत्र त्रिशद्धनुष मायता।।
शर्तअष्टोत्तरं कुण्ड ब्राम्हणां काल्पितं पुरा।
धताचकार विधिवच्छत् यज्ञम् खण्डितम्।। (शिवपुराण अष्टम खंड, द्वितीय अध्याय)


ब्रह्मा ने 108 कुंडीय किया था यज्ञ


इस श्लोक का अर्थ है कि ब्रह्मा ने इस स्थान पर 108 कुंडीय यज्ञ किया, जिसके बाद भगवान शिव का मत्यगजेंद्र स्वरूप लिंग के रूप में प्रकट हुआ. उसी लिंग को इस मंदिर में स्थापित किया गया है. विशेष बात ये है कि इस मंदिर में चार शिवलिंग हैं, ऐसा विश्व में कहीं और होने का वर्णन नहीं है. इस मामले में अनोखा मंदिर है.


सावन में भक्तों का जमावड़ा


सावन के अलावा शिवरात्रि में भी इस मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगता है. उस समय भी देश-विदेश के शिव भक्त यहां जुटते हैं. हालांकि, मंदिर की जितनी मान्यता है उस हिसाब से प्रशासन की तरफ से मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए खर्च नहीं किया गया है. अगर सरकारी सहायता मिल जाए तो ये मंदिर भी तीर्थयात्रियों के आकर्षण का बड़ा केंद्र बन सकता है. 


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