Dev Uthani Ekadashi: सनातन ग्रन्थों में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी व्रत को पवित्र और बहुत ही फलदायी कहा जाता है. इस व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है. यूं तो हर महीने में एकादशी के दो व्रत आते हैं लेकिन कार्तिक महीने में देव उठनी एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. आज के दिन भगवान विष्णु के भक्त उपवास करते हैं और श्रद्धा के साथ उनकी पूजा करते हैं. ऐसे में व्रत खत्म होने के बाद पारण कि विधि जानेंगे कि व्रत कैसे तोड़ा जाता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

देवउठनी एकादशी पारण का शुभ मुहूर्त


देवउठनी एकादशी के व्रत का पारण पूजा के अगले दिन होता है. यानि कि कार्तिक माह के द्वादशी के दिन इस व्रत का समापन होगा. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इसका पारण 13 नवंबर 2024 को सुबह 6 बजकर 42 मिनट से सुबह 8 बजकर 51 के बीच कर सकते हैं. 


ऐसे करें व्रत का पारण


देवउठनी एकादशी के व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करें.


स्नान के बाद दुध, दही, शहद और गुड़ से बनें पंचामृत से भगवान विष्णु की मूर्ति का अभिषेक करें.


इसके बाद प्रभु श्री हरी के सामने पूजा करते हुए अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे.


इस दौरान इस मंत्र का जाप करें


मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन। यत्पूजितं मया देव परिपूर्ण तदस्तु मे॥
ॐ श्री विष्णवे नमः। क्षमा याचनाम् समर्पयामि॥


इसके बाद मुंह में तुलसी दल रखें और उसके बाद एकादशी के दिन भगवान पर चढ़ाए गए भोग का प्रसाद ग्रहण करें.


मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के योग निद्रा से जागकर पृथ्वि लोक का भार उठाते हैं. ऐसे में प्रभु श्री हरि की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)