Mata Lakshmi ji ki Aarti: लक्ष्मी जी की आरती से पहले जरुर करें ये काम, वरना नहीं मिलेगा पूजा का फल
Mata Lakshmi ji ki Aarti in hindi: बिना विवेक के लक्ष्मी को संभालना असंभव कार्य है इसी कारण से दीवाली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश भगवान की पूजा करने की परंपरा है. महापुराण के अनुसार एक बार श्री विष्णु ने माता लक्ष्मी से कहा कि कोई स्त्री तब तक पूर्ण नहीं होती जब तक वह मां नहीं बन जाती. माता लक्ष्मी पुत्र ना होने का कारण बहुत निराश थीं. उन्हें दुखी देख माता पार्वती ने भगवान गणेश को उनकी गोद में बिठा दिया.
Mata Lakshmi ji ki Aarti in hindi(लक्ष्मी जी की आरती)
दीपावली पर माता लक्ष्मी की आरती करनी चाहिए. माता लक्ष्मी की आरती करने से कभी किसी चीज की कमी नहीं होती और जीवन में सुख शांति हमेशा बनी रहती है. लक्ष्मी जी की आरती करने से जीवन चमत्कारी तरीके से बदल सकता है. लक्ष्मी जी की आरती करने से जीवन में किसी चीज की कमी नहीं होती और हर जगह साकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
भगवान गणेश बने दत्तक पुत्र
पुत्र ना होने की वजह से निराश माता लक्ष्मी को जब माता पार्वती ने देखा तो उन्होंने अपने बेटे गणेश जी को माता लक्ष्मी की गोद में बिठा उन्हें लक्ष्मी जी का दत्तक पुत्र बना दिया. माता लक्ष्मी ने बहुत प्रसन्न होकर गणेश जी को यह वरदान दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा नहीं करेगा लक्ष्मी उनके पास कभी भी वास नहीं करेगी. इसी कारण से दीवाली की पूजा में लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है. जहां भी गणेश जी की पूजा होती है उस स्थान पर उनकी पत्नियां रिद्धि और सिद्धि अपने पुत्र शुभ और लाभ के साथ उपस्थित होती हैं जिससे घर के सभी विघ्न टल जाते हैं.
Lakshmi Ji ki full aarti(लक्ष्मी जी की संपूर्ण आरती)
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
सारे बोलो धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो, लक्ष्मी नारायण भगवान की जय।
आरती खत्म होने के बाद सबसे पहले तुलसी जी को आरती दिखाएं. इसके बाद ही घर के सदस्यों को आरती लेनी चाहिए.
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