Holika Dahan Par Kya na Karein: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका की पूजा और दहन किया जाता है तथा इसके दूसरे दिन रंग खेला जाता है. निर्णय सागर पंचांग के अनुसार 24 मार्च की रात्रि में भद्रा काल बीतने के बाद 11 बजकर 14 मिनट के बाद होलिका दहन का मुहूर्त है. होलिका दहन में कई तरह की पूजाएं और कर्म कर लोग अपने जीवन के कष्टों व परेशानियों को कम करने का कार्य भी करते हैं किंतु कुछ लोगों को चौराहों पर होने वाले होलिका दहन का दर्शन करने से ज्योतिष शास्त्र में वर्जित भी किया गया है. इस बात को भी जानना बहुत जरूरी है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

 


गर्भवती महिलाएं बरतें सावधानी
गर्भवती महिलाओं को होलिका दहन से दूरी बना कर ही रखनी चाहिए. मान्यता है कि होलिका दहन देखने से गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका बुरा असर पड़ता है. 


 


बाहर घूमने न निकलें
कुछ लोग होलिका दहन के दिन शहर भर का नजारा देखने के लिए परिवार सहित घूमने निकलते हैं उन्हें चौराहों को देख सुन कर ही पार करना चाहिए क्योंकि उस दिन बहुत से लोग चौराहों पर अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए टोने टोटके भी कर बीच चौराहे पर नींबू मिर्च आदि कुछ सामग्री डाल देते हैं, जिसे कभी लांघना नहीं चाहिए.  


 


इकलौती संतान वाले माता पिता रखें ध्यान
मान्यता है कि जो लोग अपने परिवार की इकलौती संतान हैं, उन्हें होलिका दहन नहीं देखना चाहिए और न ही होलिका दहन की पूजा करनी चाहिए. ऐसे में परिवार के बड़े बुजुर्गों को होलिका पूजा का कार्य करना चाहिए.


 


यह भी पढ़ें: Deepak Jalane ke Niyam: आर्थिक और पारिवारिक समस्याएं दूर सकते हैं इस तरह के दीपक, जान लें सरल से उपाय


 


छोटे बच्चों को न लेकर जाएं
होलिका दहन वाले दिन चौराहे पर नकारात्मक शक्तियों का खतरा रहता है. ऐसे में नवजात बच्चे को लेकर कभी भी नहीं जाना चाहिए नहीं तो शिशु के जीवन में किसी न किसी तरह की परेशानी आ सकती है. 


 


सास-बहु एक साथ न जाएं
धर्म ग्रंथो के अनुसार होलिका दहन में सास और बहू को एक साथ नहीं जाना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से दोनों के बीच आपसी रिश्तों में दरार पैदा होती है. 


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)