Surya Puja: सप्ताह में सात वार होते हैं और प्रत्येक वार का संबंध ब्रह्मांड के ग्रहों से होता है. जैसे सूर्यदेव के लिए रविवार का दिन निर्धारित है. इसी तरह सोमवार के अधिपति चंद्र हैं. मंगल ग्रह के लिए मंगलवार, बुध के लिए बुधवार, गुरुदेव बृहस्पति के लिए गुरुवार जिसे कुछ लोग बृहस्पतिवार भी कहते हैं. शुक्र से शुक्रवार और शनि से शनिवार. 


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ग्रह शांति के उपाय
किसी भी ग्रह की अनुकूलता पाने के लिए उससे संबंधित वस्तुओं का दान, जप तब और व्रत पूजा आदि का विधान है. किसी भी ग्रह की शांति के उससे संबंधित वार को व्रत किया जाता है ताकि उसका कोप कम हो सके और व्यक्ति का आराम मिले. 


 


माह अनुसार करें सूर्यदेव की पूजा
सूर्यदेव की कृपा पाने, उन्हें अपने पक्ष में करने के लिए रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा अर्चना और व्रत किया जाता है. सूर्यदेव के यूं तो बहुत से नाम हैं किंतु जिस माह में आप पूजा कर रहे हों, उस माह के सूर्यदेव का अलग नाम रहता है. इस कारण से माह के अनुसार सूर्यनारायण की पूजा करने का विशेष फल प्राप्त होता है. 



1. चैत्र
चैत्र का महीना हिंदू पंचांग का पहला महीना कहा जाता है, इस माह के व्रत में सूर्यदेव की पूजा भानु नाम से होती है. इस माह में सूर्यदेव यानी रविवार के व्रत में घी, पूड़ी, मिठाई और दूध आदि का भोग लगाने का विधान है.   



2. वैशाख 
बात करते है वैशाख माह की तो इस माह  में सूर्य की पूजा तपन नाम से की जाती है. वैशाख के महीने में उड़द, घी, अंगूर मुनक्का और  गोबर के उपले आदि अर्घ्य के रूप में देना चाहिए. 



3. ज्येष्ठ
ज्येष्ठ का महीना तपिश वाला होता है, इस माह में सूर्य देव की पूजा इंद्र के नाम से करते हैं. इसमें दही, सत्तू और आम का अर्घ्य देकर चावल के दान का विधान है. 



4. आषाढ़
इस माह में सूर्य की सूर्य नाम से ही पूजा की जाती है और उन्हें जायफल चिउड़ा आदि का अर्घ्य देना चाहिए. 



5. सावन
इस माह में सूर्य की पूजा  गभस्ति नाम से करते हुए सत्तू, पूड़ी व फल आदि का अर्घ्य दिया जाता है.



6. भाद्रपद
भाद्रपद मास जिसे भादों भी कहा जाता है. में यंत्र नाम से सूर्य की आराधना की जाती है और घी, भात, कुष्मांड या कुम्हड़ा अर्पित किया जाता है. 



7. आश्विन
हिरण्यरेता नाम से सूर्य की पूजा कर चीनी, अनार आदि का अर्घ्य देते हुए चावल और चीनी से पूजा करना चाहिए. 



8. कार्तिक 
दिवाकर नाम के सूर्य की पूजा कर खीर और केले का अर्घ्य देकर खीर का भोजन करना चाहिए. 



9. मार्गशीर्ष
इस माह में मित्र नाम से सूर्य की पूजा का विधान है, चावल, घी, गुड़ और नारियल का भोग लगाना चाहिए. 



10. पौष
पौष माह में विष्णु नाम के सूर्य की उपासना करते हुए चावल मूंग और तिल की खिचड़ी तथा बिजौरी अर्थात बड़ी कुम्हड़ी का अर्घ्य दिया जाता है. 



11. माघ
इस माह में वरुण नाम के सूर्य की पूजा करते हुए तिलों का अर्घ्य तथा तिल और गुड़ का प्रसाद अर्पित किया जाता है. गुड़ का दान भी करना चाहिए. 



12. फाल्गुन
इस माह में भी भानु नाम के सूर्य की आराधना करते हुए दही और घी के नैवेद्य के साथ जंभीरी अर्थात बड़े नींबू का अर्घ्य देते हैं.   


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)