Who is Lord Swaminarayan: आप दिल्ली या गुजरात के गांधीनगर में बने अक्षरधाम में कई बार दर्शन के लिए गए होंगे. उसकी भव्यता और वास्तुकला हर किसी का मन मोह लेती है. मंदिर में पसरी शांति दिव्य आभा और सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह का संकेत देती है. कहते हैं कि वहां पर जाकर मन की सारी उलझनें शांत हो जाती हैं और मन आध्यात्म में रम जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अक्षरधाम मंदिर में भगवान शिव, विष्णु या अन्य प्रमुख देवी- देवता की पूजा नहीं होती. फिर आखिर वहां पर कौन से देवता की आराधना होती है. 


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स्वामीनारायण को समर्पित है अक्षरधाम मंदिर


असल में अक्षरधाम मंदिर स्वामीनारायण को समर्पित हैं, जिन्हें उनके अनुयायी भगवान मानते हैं. स्वामीनारायण का पहले नाम सहजानंद था. उनका जन्म 1781 में गुजरात में हुआ था. 20 वर्ष की कम उम्र में, रामानंद स्वामी से दीक्षा ली. इसके साथ ही उनका नाम सहजानंद स्वामी पड़ गया. उन्होंने घूम- घूमकर लोगों को आध्यात्मिक शिक्षाएं दीं. उन्होंने लोगों को नैतिक जीवन और नैतिक आचरण को श्रेष्ठ बनाए रखने पर बल दिया. जिससे परम आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है.


सहजानंद स्वामी ने की थी संप्रदाय की शुरुआत


रामानंद स्वामी के निधन के बाद सहजानंद स्वामी ने स्वामीनारायण मंत्र की शुरुआत की. इसमें सहजानंद स्वामी और उनके अनुयायी काफी देर तक मौन होकर समाधि लेकर बैठ जाते थे. इसका अर्थ मन को गहरे आध्यात्मिक अनुभव की ओर ले जाना था, जिसके चलते यह धारा गुजरात में तेजी से लोकप्रिय होती चली गई. उन्होंने नैतिक जीवन, आध्यात्मिक मार्गदर्शन और अपार भक्ति पर आधारित जीवन की नींव मजबूत की. 


अनुयायी उन्हें भगवान मानकर करते हैं पूजा


लोग उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए. धीरे- धीरे लोग उन्हें भगवान मानने लगे और उन्हें भगवान स्वामीनारायण नाम दे दिया. उनके निधन के बाद उनके अनुयायियों ने हिंदू धर्म के अंदर ही अपना एक अलग संप्रदाय बना लिया, जो किसी अन्य देवी-देवता के बजाय सहजानंद स्वामी उर्फ भगवान स्वामीनारायण की पूजा करते हैं. दिल्ली और गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में भी उन्हीं सहजानंद स्वामी की प्रतिमाएं हैं, जिनकी उनके अनुयायी आराधना करते हैं.  


सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर


स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुयायियों के मुताबिक अक्षरधाम मंदिर महज एक पूजा स्थल नहीं है बल्कि यह सीखने और सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी एक शानदार जगह है. यह अपनी संस्कृति के बारे में और अधिक जानने और आसपास की दुनिया के बारे में व्यावहारिक दृष्टिकोण प्राप्त करने का अवसर देता है. उनके अनुयायिकों के अनुसार, अक्षरधाम मंदिर न केवल शांति से समय बिताने के लिए बेहतर जगह है बल्कि परम ज्ञानवर्धक और सार्थक अनुभव का आनंद लेने का अवसर भी देते हैं.