Ganesh Puja: भगवान शंकर जी के सुत और भवानी के नंदन भगवान गणेश विघ्नहर्ता के साथ ही बुद्धि प्रदाता भी हैं. विद्यार्थियों को इनकी आराधना करने से उनके बौद्धिक स्तर में वृद्धि के साथ ही लेखन शैली में विकास होता है. गणेश जी लेखनी के धनी हैं, इसलिए भगवान वेद व्यास ने जब महाभारत की रचना के विषय में विचार किया तो उन्होंने इसे लिखने के लिए गणेश जी का चुनाव किया. 


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महाभारत लिखने में गणेश जी को क्यों लगे 3 साल?
महाभारत की कथा इतनी बड़ी है कि जिसे लिखने में किसी अन्य देवता को सदियां लग जाती किंतु गणेश जी की लेखन गति बहुत तेज थी, फिर भी उन्हें लिखने में तीन सालों का समय लगा. महाभारत लिखते समय गणेश जी ने शर्त रख दी की उनकी कलम रुकनी नहीं चाहिए. इस पर वेद व्यास जी ने कहा कि यह तो ठीक है लेकिन आप हर श्लोक को समझ कर ही लिखेंगे. बताते हैं कि गजानन को जितना समय श्लोक का अर्थ समझने में लगता था, उतनी देर में व्यास जी अगले श्लोक की रचना कर लेते थे.   


 


इस तरह करें गणेश जी के दर्शन
मान्यता है कि गणेश जी के पीछे पीठ की तरफ दरिद्रता का वास होता है, इसलिए हमेशा सामने से ही गणेश जी के दर्शन करने चाहिए. गणेश जी के मंदिर से बाहर निकलते समय ध्यान रखें कि हाथ जोड़ कर पीछे की तरफ उलटे कदम चलते हुए ही बाहर निकलें. 


 


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गणपति के साथ करें माता लक्ष्मी की पूजा
भगवान विष्णु जी की पत्नी माता लक्ष्मी एक दिन काफी दुखी भाव से अपने पति की सेवा कर रही थीं. उनके दुख का कारण उनके किसी संतान का न होना था. जैसे ही यह बात माता पार्वती को पता चली तो वह तुरंत ही अपने बालक गणेश के साथ पहुंचीं और उन्हें माता लक्ष्मी की गोद में बैठा कर कहा गणेश माता लक्ष्मी के भी पुत्र हैं. इस पर माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हुई और कहा कि जब तक कोई उनके साथ भगवान गणेश की पूजा नहीं करेगा, उसे कभी भी सुख- समृद्धि और लक्ष्मी की प्राप्ति नहीं होगी. यही कारण है कि भगवान गणेश की पूजा लक्ष्मी जी के साथ भी की जाती है.


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)