Gufa Manav: 10 हजार साल पुरानी कंदरा में कहां से आए ‘गुफा मानव’? दीवारों पर अजीबोगरीब चित्र बना दिया ये संकेत
Gufa Manav Kaun Hain: क्या आज से 10 हजार साल पहले कंदराओं में गुफा मानव रहा करते थे. अगर नहीं तो उन गुफाओं में रहस्यमय चित्र फिर किसने बना दिए, जो आज भी कुछ संकेत देते नजर आते हैं.
Gufa Manav vs Alien News in Hindi: ये सवाल आज तक रहस्य है, कि धरती पर एलियन्स को सबसे पहले किसने देखा? वैसे तो धरती पर एलियन्स के वजूद यानी दूसरे ग्रह से धरती पर उतरने की थ्योरी पर ही वैज्ञानिक एकमत नहीं है. लेकिन ये भी सच है कि इस ब्रह्मांड में जीवन से भरी हमारी धरती अकेली नहीं. यानी दूसरे ग्रहों पर जीवन या हमसे भी उन्नत सभ्यताएं हो सकती हैं. खैर, इस पर रिसर्च अभी जारी है. आज की रिपोर्ट हमने तैयार की है देश की एक ऐसी गुफा पर, जो 10 हजार साल से ज्यादा पुरानी बताई जाती है. इस गुफा को रहस्यमयी बनाते हैं इसकी दीवारों पर बनाई गई रॉक पेंटिंग. इन पेटिंग्स में ऐसे इंसानों की तस्वीर उकेरी गई है, जो धरती पर कभी देखे नहीं गए.
आदिकालीन गुफा में इंसान या एलियन?
इस प्राचीन गुफा के भित्ती चित्रों के साथ चिपका ये सवाल हैरान कर देने वाला है, क्योंकि जिन एलियन सभ्यता को लेकर कयास भी ईसा के बाद की सदियों में शुरू हुई, उसकी परिकल्पना ईसा से दस हजार साल पहले के काल में कैसे हुई? जिन एलियन्स को चांद से लेकर मंगल की सतह तक पहुंच कर तलाशा जा रहा है, एक से बढ़कर एक टेलिस्कोप और स्पेस ऑब्जर्बेटरी के जरिए उनकी आहटों पर नजर रखी जा रही है, इसके बावजूद एलियन्स की असली रूप रेखा हमारे पास नहीं.
अलग अलग रिसर्च और परिकल्पनाओं के जरिए जो तस्वीर हमारे सामने पेश की गई वो कुछ ऐसी हैं- एलियन्स की ये सारी तस्वीरें केरीकेचर हैं- अलग अलग ब्योरों पर आधारित और अनुमानित. कोई भी ऐसी तस्वीर ऐसी नही जिसके बारे में कहा जा सके- ठीक इसी शक्ल का कोई एलियन दुनिया के किसी हिस्से में कभी देखा गया हो.
तो फिर चरामा की गुफाओं के भित्ति चित्रों में दूसरे ग्रह के प्राणियों को ये कैसा रेफरेंस है? क्या ये आदिकाल के मानवों की कोई कल्पना है, या दूसरी सभ्यता के अंजान से जीवों से सीधे साक्षातकार का ब्योरा, आखिर क्या है.
रायपुर में बनी हुई है रहस्यमयी गुफाएं
ऐसे चित्रों वाली कई गुफाएं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 140 किमी दूर कांकेर जिले के चरामा इलाके में है. इनमें से दो गुफाओं की शृंखला- चंदेली और गोती डोला गांव में हैं. स्क्रीन पर आप जिन गुफा चित्रों को देख रहे हैं, उनका पता करीब 2 दशक पहले चला था. तब लोगों ने इसे आम शैल चित्र, यानी गुफा की दीवारों पर बनाया गया चित्र माना गया था, लेकिन पुरातात्विक विश्लेषण में ये पता चला- इन चित्रों में कुछ तो ऐसा है, जो आदिमानव के लिहाज अनदेखा है.
सवाल वही, कि आखिर 10 हजार साल पहले की गुफा में अगर ये चित्र किसी दूसरे ग्रह के प्राणियों के हैं, तो फिर इन्हें उकेरा किसने, बनाया किसने और हजारों साल से जस का तस ये रंग कैसा है, जो आंधी पानी और मौसम के परिवर्तन में भी नहीं बदला.
गुफा में बनी रॉक पेंटिंग्स की एक दिलचस्प बात ये है, कि धूल-गर्द में छिपे चित्रों को अगर पानी से धो दिया जाए, तो इनके रंग और चटक दिखने लगते हैं. कई रिसर्च में इन पेंटिंग्स का काल 10 हजार साल पराना बताया गया है. ये अपने आप में अजूबा है. क्योंकि सिंधु, हड़प्पा और सुमेर जैसी दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं का काल 5000 से 6500 साल पुराना माना जाता है. लेकिन इन सभ्यताओं की अब तक की खोज में कहीं भी दूसरे ग्रह के प्राणियों का कहीं कोई जिक्र नहीं मिला है. तो फिर चरामा की गुफाओं में कौन से लोग रहते थे- जिनको दूसरे ग्रह पर जीवन या वहां से आए इंसानी कद काठी वाले जीवों का आभास था.
साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग ने शुरू किया था प्रोजेक्ट
एलियन्स हैं कहां, ये जरूर एक रहस्य है, इसका मतलब कतई नहीं, कि वो हैं नहीं. जैसे इस धरती पर हम हैं, वैसे ब्रह्मांड के किसी कोने में उनका भी वजूद हो सकता है. ये बात हमारे दौर के सबसे बड़े भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग कई बात दोहरा चुके थे.
20वीं सदी आइंस्टीन के बाद सबसे जाने माने साइंटिस्ट स्टीफन हॉकिंग तो एलियंस से लगातार संपर्क बनाने की कोशिश कर रहे थे. स्टीफन हॉकिंग की अगुवाई में अमेरिका समेत कई जगहों पर बड़े टेलिस्कोप और फ्रिक्वेंसी भेजने के लिए खास डिवाइस तैयार की गई. 100 मिलियन डॉलर के इस प्रोजेक्ट में कई और भी वैज्ञानिक जुड़े थे. इसके तहत कई सिगनल्स भेजे गए और बाहरी दुनिया से कई सिग्नल पकड़े भी गए. इन सिगन्ल के करोड़ो किमी दूर अंतरिक्ष में टकराने की वजह से स्टीफन हॉकिंग ने कहा- बह्रमांड में हम अकेले नहीं. एलियन्स हमारे आस पास हो सकते हैं और संभव है धरती की पूरी गतिविधियों पर उनकी नजर हो.
हालांकि अपनी रिसर्च और इससे मिले रिजल्ट के आधार पर स्टीफन हॉकिन्गस ने ये सलाह दी की एलियन्स से संपर्क करना छोड़ दिया जाना चाहिए, क्योंकि हमें उनके बारे में पता नहीं. ऐसे में वो इंसानी सभ्यता के लिए खतरनाक भी हो सकते हैं. लेकिन आज सवाल खतरे का नहीं, एलियन्स के वजूद का है. आखिर विज्ञान के दायरे और इंसानी कल्पनाओं में ये आया कहां से और कब से.
क्या प्राचीन मिस्र की धरती पर आए थे एलियंस?
अब तक के लिखित इतिहास में UFO यानी अनआइडेंटिफायड ऑब्जेक्ट यानी उड़नतश्तरी देखने का पहला दावा चीन के खगोल वैज्ञानिकों ने किया था. हालांकि इस दावे में उड़नतश्तरी के रूप स्वरूप से ज्यादा का ब्योरा नहीं है. लेकिन ये पहली घटना नहीं.
ईसा पूर्व में ही प्राचीन सभ्यताओं पर शोध करने वाले चर्चित लेखक एरिक वॉन डेनिकेन ने अपनी किताब चैरियट्स ऑफ गॉड में एलियन्स का जिक्र किया है. इसके मुताबिक प्राचीन मिस्र की धरती पर एलियन्स आए थे और उन्होंने ही मिस्र के लोगों को गीजा और पिरामिड बनाने के लिए औजार और ज्ञान दिया था.
तो क्या मिस्र के पिरामिड एलयिन्स ने बनवाए थे? इस सवाल का वैज्ञानिक रूप से जांचा परखा जवाब नहीं है, लेकिन खुद विज्ञान ही एलियन्स के वजूद से इंकार नहीं कर पाता. और विज्ञान ही क्यों, विज्ञान से पहले एलियन्स की कल्पना किस्से कहानियों में की गई.
नासा के पास अगले 10 साल का पूरा प्रोजेक्ट तैयार
वो साल था 200 और लेखक थे लुसियन ऑफ समोस्टा. लुसियन ने अपनी किताब ट्रू स्टोरी में पहली बार इंसान की तरह दिखने वाले दूसरे ग्रह के प्राणियों का जिक्र किया. हैरानी की बात ये, कि लुसियन कोई सांइस फिक्शन लिखने वाले राइटर नहीं थे, बल्कि वो व्यंग्य लेखक थे. लुसियन ने अपने उपन्यास ट्रू स्टोरी में एलियन्स की कल्पना चांद से उतरे अजीब से प्राणियों के तौर पर की थी.
उस वक्त तो लुसियन का मजाक उड़ाया गया, लेकिन आज उसी चांद पर विज्ञान एलियन्स की निशानियां ढूंढ रहा है. बल्कि धरती से चांद के नहीं दिखने वाले हिस्से में उनके होने की आशंका जताई जाती है. इसमें सबसे आगे है अमेरिका, जिसकी स्पेस एजेंसी नासा के पास अगले 10 साल का पूरा प्रोजेक्ट तैयार है. इसमें दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश के साथ एलियन्स के लोकेशन का पता लगाना भी बड़ा टारगेट है.
हालांकि ये आजतक रहस्य ही है, कि अमेरिका में एलियन्स को लेकर रिसर्च कबसे चल रहा है और इसका नतीजा अब तक क्या निकला. इस रहस्य का बड़ा उदाहरण एरिया-51. एरिया 51 अमेरिका के नेवादा स्टेट में एक गुप्त नौसैनिक अड्डा है, जहां आम लोगों के आने जाने की सख्त मनाही है. इस सख्ती का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस पूरे क्षेत्र में घुसते हुए अगर कोई दिख जाए तो उसे देखते ही गोली मारने का आदेश है.
अमेरिका के हर राष्ट्रपति को दिए जाते हैं ये निर्देश
अमेरिकी मीडिया ने 2017 में एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा था कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने एलियंस और यूएफओ का पता लगाने के लिए 2007 से बड़ा प्रोजेक्ट शुरु किया था. पांच साल चले इस प्रोजेक्ट पर करीब 150 करोड़ रू. खर्च किए गए थे. दुनिया के लिए ये प्रोजेक्ट 2012 में बंद कर दिया गया. लेकिन असल में नेवी इंटेलिजेंस के जरिए पूरा प्रोजेक्ट आज भी चल रहा है. प्रोजेक्ट का नाम है एरियल फेनोमिना टास्स फोर्स. ये प्रोजेक्ट इतना गोपनीय है कि इसकी जानकारी राष्ट्रपति समेत गिने चुने लोगों को ही होती है.
बराक ओबामा जब 2008 में अमेरिका के प्रेसिडेंट बने, तब उन्होंने खुद ये कुबूल किया, कि राष्ट्रपति बनने के बाद वो सबसे ज्यादा उत्सुक एलियन्स की मिस्ट्री जानने को लेकर ही थे. हालांकि ओबामा हंसते हुए ये जवाब टाल गए, कि एलियन्स को लेकर उनकी उत्सुकता का क्या हुआ. उन्होंने अमेरिकी लैब और एरिया-51 के बारे में क्या जाना. ओबामा ने ये साफ कहा कि सिर्फ वही नहीं, अमेरिका के हर राष्ट्रपति को ये सख्त निर्देश होते हैं कि एलियन्स को लेकर प्रोजेक्ट के बारे में कोई बातचीत नहीं की जाए.
चरामा की गुफाओं में एलियन जैसे दिखने वाले लोगों के चित्रों की जांच भी अमेरिकी एजेंसियों से कराने की मांग की गई है. लेकिन जवाब क्या आया...? ये खुलाना चौंकाने वाला हो सकता है. 7 साल पहले एलियन्स को लेकर एक बड़ा दावा किया था अमेरिका के एरिया 51 में काम करने वाली एक रडार ट्रैकिंग ऑफिसर ने. नियारा नाम की इस अमेरिकी एयर फोर्स ऑफिसर ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था इंसान की तरह दिखने वाले एलियन ने उनका कई बार रेप किया था.
रंग पीला लेकिन पूंछ वाले होते थे एलियंस!
नियारा के मुताबिक पीली आखों वाले एलियन दिखने में इंसान की तरह थे, लेकिन उनकी पूंछ थी. और उन्हें एलियन शिप में बिठाकर कई बार स्पेस ले जाया गया. ये ऐसा मामला था, जिसमें ना तो कोई सबूत थे और ना ही इसकी पुष्टि की गई. सिर्फ ये घटना ही नहीं, अमेरिका का पूरा एरिया-51 इलाका रहस्यों से भरा है. तो क्या चरामा की गुफाओं का भी रहस्य कुछ ऐसा ही है.
चरामा की गुफाओं का ये हिस्सा गोटी टोला गांव के इलाके में पड़ता है. ये एलियन के चित्र वाली गुफाओं का सबसे रहस्यमयी हिस्सा है. रहस्यमयी इसलिए, क्योंकि इन चित्रों के साथ संकेत मिलते हैं किसी स्पेस शिप और उससे आने वाले एलियन्स की.
गौर से देखने पर कोई भी महसूस कर सकता है, इन चित्रों में हाथ के निशान तो हैं, लेकिन उंगिलयां सिर्फ चार हैं और हर चित्र में कनिष्ठा यानी छोटी उंगली गायब है. ये ऐसे चित्र हैं, जो आस पास की कहीं किसी गुफा या किसी दूसरी पौरातात्विक महत्व वाली जगहों में नहीं दिखती. तो सिर्फ चरामा में ही क्यों...?
गुफाओं में 10 हजार साल पहले कौन रहता था?
इस सवाल के साथ ये रहस्य और भी गहरा जाता है कि इन गुफाओं में 10 हजार साल पहले रहता कौन था?अगर ये चित्र आदि मानवों का बनाया हुआ है तो वो दिखते कैसे थे और अगर ये दूसरे ग्रह से आए प्राणियों का बनाया गया है, तो फिर इसका सच क्या है?
इन चित्रों के प्रकाश में आने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से अपील की थी इन गुफा चित्रों की जांच की. लेकिन अब तक नासा की तरफ से इस पर कोई भी जवाब नहीं आया है. यानी अब तक के विज्ञान की समझ से भी बाहर हैं चरामा की गुफाओं के ये चित्र.